Sunday, 14 November 2021

 सत्य-सनातन-धर्म (हिन्दू धर्म) की पुनर्प्रतिष्ठा व वैश्वीकरण कब होगा? ...

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क्रमिक विकास में जब मनुष्य की बुद्धि यह समझने लगेगी कि वह एक शाश्वत आत्मा है, यह देह नहीं; उसी क्षण से सनातन धर्म (हिन्दू धर्म) उसे समझ में आने लगेगा| आत्मा की शाश्वतता, कर्म, कर्म करने की स्वतन्त्रता, कर्मफलों की प्राप्ति, पुनर्जन्म, कर्तृत्व, भक्ति व समर्पण, और समत्व, ... आदि की समझ, और तदानुसार उसका ऊर्ध्वमुखी आचरण ... सनातन धर्म (हिन्दू धर्म) है| इसी से हमारा अभ्युदय और निःश्रेयस की सिद्धि हो सकती है|
उपरोक्त सत्य की समझ और समझाने से ही सनातन-धर्म (हिन्दू धर्म) की पुनर्प्रतिष्ठा और वैश्वीकरण होगा, अन्यथा नहीं| सर्वप्रथम तो यह समझना और समझाना आवश्यक है कि हम एक शाश्वत आत्मा हैं जो कभी नष्ट नहीं हो सकती| हम इस सृष्टि में जो कुछ भी हैं, वह अपने कर्मफलों के कारण हैं| हम कर्म करने के लिए स्वतंत्र हैं| हमारे विचार और भाव ही हमारे कर्मों के कर्ता हैं| कर्मफलों को भोगने के लिए ही हमारा बार-बार पुनर्जन्म होता है| भक्ति और समर्पण के द्वारा ही हम इस आवागमन के चक्र से मुक्त हो सकते हैं, और समत्व में स्थिति ही वास्तविक ज्ञान है| ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
१५ नवंबर २०२०

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