Tuesday 28 September 2021

अर्मेनिया और तुर्की सदा से ही एक दूसरे के कट्टर शत्रु रहे हैं ---

(दिनांक २९ सितंबर २०२० को लिखा लेख)

आज अभी कुछ देर पहिले एक टीवी चैनल पर समाचार देखा कि तुर्की को प्रसन्न करने के लिए पाकिस्तान, आर्मेनिया से लड़ने के लिए अपने सैनिक और जिहादी आतंकियों को अज़रबेजान भेज रहा है| यह समाचार पढ़कर बड़ा अच्छा लगा| यह आज की सबसे अच्छी खबर थी| देखते हैं, पाकिस्तान वहाँ कौन सी तोप चलाता है?
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अर्मेनिया और तुर्की दोनों ही सदा से एक दूसरे के कट्टर शत्रु रहे हैं, वैसे ही जैसे तुर्की और ग्रीस| इसका एकमात्र कारण है अर्मेनिया का कट्टर ईसाई होना, व तुर्की का कट्टर सुन्नी मुसलमान होना| आर्मेनिया की राजधानी येरेवान बहुत प्राचीन नगर है, वेटिकन व रोम से भी अधिक प्राचीन| १६ वी सदी में पूर्वी आर्मेनिया फारस के अधिकार में आ गया था और पश्चिमी भाग तुर्की के अधिकार में| १९ वीं सदी में रूस ने आर्मेनिया को तुर्कों से मुक्त कराया| इस बीच तुर्कों ने लाखों अर्मेनियाई लोगों का नरसंहार किया| आर्मेनिया के कई लाख लोग विश्व के दूसरे भागों में शरणार्थी होकर भाग गए थे| अभी वहाँ की जनसंख्या मुश्किल से ३० लाख से भी कम है, जो सभी कट्टर ईसाई हैं| आर्मेनिया के पूर्व में अजरबेजान है, पश्चिम में तुर्की, उत्तर में रूस, और दक्षिण में ईरान|
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आज़रबेजान अग्निपूजक लोगों का देश था जो अग्नि को देवता मानते थे| वहाँ की खुदाई में हिन्दू देवो-देवताओं की मूर्तियाँ भी निकलती हैं| फारसियों ने वहाँ के अग्निपूजकों को मारकर अधिकांश को मुसलमान बना दिया, व अन्यों को भगा दिया| अब वहाँ ८५% शिया और १५% सुन्नी मुसलमान हैं| वहाँ की कुल जनसंख्या ९९ लाख से भी कम है|
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सोवियत संघ के विघटन तक दोनों देश सोवियत संघ के भाग थे| कोई विवाद नहीं था| स्टालिन के आदेश से नगोरना-काराबाख का ईसाई बहुल क्षेत्र आज़रबेजान को दे दिया गया था| सोवियत संघ के विघटन के बाद नगोरना-काराबाख के ईसाईयों ने विद्रोह कर स्वयं को आर्मेनिया का भाग घोषित कर दिया| यही वहाँ के युद्ध का कारण है| एक बात तो निश्चित है कि रूस कभी भी किसी कीमत पर आर्मेनिया को नहीं हारने देगा|
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तुर्की ने मुस्लिम विश्व का नेता बनने के चक्कर में यह युद्ध आरंभ किया है, जिसमें उसकी पराजय निश्चित है| मुस्लिम देश कभी एक नहीं हो सकते| तुर्क और अरब ... एक-दूसरे की शक्ल भी देखना भी पसंद नहीं करते| शिया और सुन्नियों के बीच में तो एक स्थायी दीवार खिंच गई है| पाकिस्तान अब मुस्लिम विश्व का नेता बनना चाहता है क्योंकि वह स्वयं को अणुबम होने के कारण सबसे अधिक शक्तिशाली मुस्लिम देश मानता है|
२९ सितंबर २०२१

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