अब उनकी ओर निहारें या उनके बारे में लिखें?
फेसबुक पर जो कुछ जैसा भी मुझे आता-जाता है, वैसे ही लेख लिखता आ रहा हूँ| वही लिखा जिस को लिखने की प्रेरणा मिली| भगवान के प्रेम पर तो लिखना अब अति कठिन है क्योंकि अब उनकी ओर निहारें या उनके बारे में लिखें?
सारी भागदौड़ और दूसरों के पीछे भागना बंद हो गया है| जहाँ भी मैं हूँ, वहीं हर समय भगवान मेरे साथ हैं| जीवन में तृप्ति, संतुष्टि और आनंद है| सभी सत्संगी मित्रों को धन्यवाद, जिनसे मैंने बहुत कुछ सीखा और जिन्होंने मुझे खूब प्रोत्साहन और साथ दिया| समय समय पर फेसबुक पर आता रहूँगा|
"चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम् ||" "हरिः ॐ तत्सत् !!"
२९ सितंबर २०२०
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