Tuesday 5 May 2020

पश्चिम एशिया में कभी भी युद्ध हुआ तो भारत के लिए एक दुविधा उत्पन्न हो जाएगी .....

पश्चिम एशिया में कभी भी युद्ध हुआ तो भारत के लिए एक दुविधा उत्पन्न हो जाएगी| जिस तुर्की के अंतिम खलीफा अब्दुल मज़ीद को बापस सत्ता दिलाने के लिए गांधी ने भारत में खिलाफत आंदोलन आरंभ किया था, वह #तुर्की अब खुल कर भारत का शत्रु बन गया है| परसों तुर्की ने भारत पर मुसलमानों के नर-संहार का आरोप लगाया है|
मुस्लिम देशों के सबसे बड़े वैश्विक मंच इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) ने भी परसों गुरुवार को भारत के विरुद्ध दिल्ली में हुई हिंसा पर सख्त प्रतिक्रिया दी है| इस्लामिक सहयोग संगठन ने भारत पर मुसलमानों को निशाना बनाने का आरोप लगाते हुए भारत की निंदा की है|
पुनश्च: :---- जिस तरह पाकिस्तान ने विभाजन के पश्चात वहाँ बचे हिए हिंदुओं का व्यापक नरसंहार किया था, उसी तरह तुर्की ने भी सन १९१४ से १९२३ तक अपने अनातोलिया प्रांत में ग्रीक ईसाइयों का, और इजमीर प्रांत में आर्मेनियन ईसाइयों का बहत बड़ा नरसंहार किया था| सन १९७४ में तुर्की ने साइप्रस पर आक्रमण कर के वहाँ के ईसाइयों को मारकर भगा दिया था| तुर्की अब एजियन सागर में स्थित ग्रीक द्वीपों पर अधिकार करना चाहता है क्योंकि ये द्वीप कभी सल्तनत-ए-उस्मानिया (Ottoman Empire) के आधीन थे| इस सल्तनत के समय तुर्की का भूभाग बहुत अधिक विशाल था पर बाद में हुए युद्धों में पराजित हुआ तुर्की सिमट गया और अनेक अंतर्राष्ट्रीय संधियों के कारण उसे अधिकाँश भूभाग छोड़ने पड़े| उन क्षेत्रों में ईसाइयों और मुसलमानों के मध्य अनेक धर्मयुद्ध हुए थे| आज के युग में उन की कल्पना भी भयानक है| यूरोप के अनेक देशों में बहुत बड़ी संख्या में तुर्क बसे हुए हैं| तुर्की को पूरी उम्मीद है कि विदेशों में बसे तुर्क उस की पूरी सहायता करेंगे|
तुर्की का इतिहास अधिक पुराना नहीं है| सन १०७१ में मंज़िकेर्त के युद्ध में ईसाई बिरज़ेन्ताइन साम्राज्य को हराकर जिहादियों ने तुर्की का इस्लामी साम्राज्य स्थापित किया| था| वर्तमान तुर्की गणराज्य की स्थापना तो सान १९२३ में ही हुई थी| तुर्की में ईसाईयों के वर्चस्व को अहल-अल-सलीब कहा जाता है जिन पर विजय का उन्माद वहाँ के दोनों राजनीतिक दल भड़का रहे हैं| पूरे पूर्वी यूरोप में तुर्की के विरुद्ध जन भावनाएँ हैं, क्योंकि पूर्व में तुर्कों ने वहाँ बहुत अधिक अत्याचार किये हैं| तुर्की महत्व बास्फोरस जलडमरूमध्य से है जिसे वह अनेक अंतर्राष्ट्रीय संधियों के कारण बंद नहीं कर सकता|

कृपा शंकर 
२९ फरवरी २०२० 

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