Saturday 28 December 2019

"हिन्दुत्व" और "हिन्दू राष्ट्र" पर मेरे विचार :-----

"हिन्दुत्व" और "हिन्दू राष्ट्र" पर मेरे विचार :-----
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हिन्दुत्व :---- जिस भी व्यक्ति के अन्तःकरण में परमात्मा के प्रति प्रेम और श्रद्धा-विश्वास है, जो आत्मा की शाश्वतता, पुनर्जन्म, कर्मफलों के सिद्धान्त, व ईश्वर के अवतारों में आस्था रखता है, वह हिन्दू है, चाहे वह विश्व के किसी भी भाग में रहता है, या उसकी राष्ट्रीयता कुछ भी है| हिन्दू माँ-बाप के घर जन्म लेने से ही कोई हिन्दू नहीं होता| हिन्दू होने के लिए किसी दीक्षा की आवश्यकता नहीं है| स्वयं के विचार ही हमें हिन्दू बनाते हैं|
आध्यात्मिक रूप से हिन्दू वह है जो हिंसा से दूर है| मनुष्य के लोभ और राग-द्वेष व अहंकार को ही मैं हिंसा मानता हूँ| लोभ, राग-द्वेष और अहंकार से मुक्ति .... परमधर्म "अहिंसा" है| जो इस हिंसा (राग-द्वेष, लोभ व अहंकार) से दूर है वह हिन्दू है|
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हिन्दू राष्ट्र :---- एक विचारपूर्वक किया हुआ संकल्प और निजी मान्यता है| हिन्दू राष्ट्र ऐसे व्यक्तियों का एक समूह है जो स्वयं को हिन्दू मानते हैं, जिन की चेतना ऊर्ध्वमुखी है, जो निज जीवन में परमात्मा को व्यक्त करना चाहते हैं, चाहे वे विश्व में कहीं भी रहते हों|
कुछ व्यक्तियों की मान्यता है कि हिन्दू राष्ट्र ऐसे व्यक्तियों का एक समूह है जो भारतवर्ष को अपनी पुण्यभूमि मानता हो| मेरा उन से कोई विरोध नहीं है, पर उनके इस विचार से तो हिन्दू राष्ट्र सीमित हो जाता है| भारत से बाहर रहने वाले वे व्यक्ति जो स्वयं को हिन्दू मानते हैं, फिर हिन्दुत्व से दूर हो जाएँगे| अतः हिन्दू राष्ट्र की परिकल्पना को हमें विस्तृत रूप देना होगा|
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उपरोक्त मेरे निजी व्यक्तिगत विचार हैं, अतः किसी को इन से बुरा मानने या आहत होने की आवश्यकता नहीं है| आप सब को नमन| ॐ तत्सत् ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
२८ दिसंबर २०१९

3 comments:

  1. भारत विजयी था, विजयी है और सदा विजयी रहेगा|
    २४,००० वर्षों के एक युग में एक २४,०० वर्षों का कालखंड आता है जिसमें भारत में असत्य रूपी अंधकार छा जाता है| वह समय निकाल चुका है और भारत की चेतना अब ऊर्ध्वमुखी हो कर उत्थान कर रही है|
    भारत में धर्म की पुनर्स्थापना हो रही है, असत्य का अंधकार दूर हो रहा है| भारत अखंड होगा और अपने द्वीगुणित परम वैभव को प्राप्त करेगा| उसे कोई नहीं रोक सकता| हम अपने स्वधर्म का पालन करें और जीवन में ईश्वर को व्यक्त करें| सब सही होगा|
    ॐ गुरवे नमः| ॐ ॐ ॐ ||
    कृपा शंकर

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  2. भारत एक सांस्कृतिक इकाई है| यहाँ की संस्कृति हिन्दू संस्कृति है, इसलिए यह हिन्दू राष्ट्र है| "देश" और "राष्ट्र"..... इन दोनों में बहुत अधिक अन्तर है| "देश" एक भौगोलिक इकाई है, और "राष्ट्र" एक सांस्कृतिक इकाई है|
    हिन्दुत्व :----
    जिस भी व्यक्ति के अन्तःकरण में परमात्मा के प्रति प्रेम और श्रद्धा-विश्वास है, जो आत्मा की शाश्वतता, पुनर्जन्म, कर्मफलों के सिद्धान्त, व ईश्वर के अवतारों में आस्था रखता है, वह हिन्दू है, चाहे वह विश्व के किसी भी भाग में रहता है, या उसकी राष्ट्रीयता कुछ भी है| हिन्दू माँ-बाप के घर जन्म लेने से ही कोई हिन्दू नहीं होता| हिन्दू होने के लिए किसी दीक्षा की आवश्यकता नहीं है| स्वयं के विचार ही हमें हिन्दू बनाते हैं|
    आध्यात्मिक रूप से हिन्दू वह है जो हिंसा से दूर है| मनुष्य के लोभ और राग-द्वेष व अहंकार को ही मैं हिंसा मानता हूँ| लोभ, राग-द्वेष और अहंकार से मुक्ति .... परमधर्म "अहिंसा" है| जो इस हिंसा (राग-द्वेष, लोभ व अहंकार) से दूर है वह हिन्दू है|
    हिन्दू राष्ट्र :----
    एक विचारपूर्वक किया हुआ संकल्प और निजी मान्यता है| हिन्दू राष्ट्र ऐसे व्यक्तियों का एक समूह है जो स्वयं को हिन्दू मानते हैं, जिन की चेतना ऊर्ध्वमुखी है, जो निज जीवन में परमात्मा को व्यक्त करना चाहते हैं, चाहे वे विश्व में कहीं भी रहते हों|
    ॐ तत्सत् ॐ ॐ ॐ ||

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  3. पाकिस्तान के दिवंगत (कर्नल) शायर फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ (فیض احمد فیض‎) (१९११ - १९८४) (फौज में कर्नल के पद से १९४८ में इस्तीफा देकर सेवानिवृत) का मैं समर्थक नहीं हूँ| उनकी शायरी चाहे कितनी भी दमदार रही हो पर उनके जीवन का एक काला अध्याय भी है जिसे बताया नहीं जाता| सन १९७१ के भारत-पाकिस्तान के युद्ध से पूर्व उन्होने पाकिस्तानी फौज द्वारा वर्तमान बांग्लादेश में किए गए वीभत्स नर-संहार का समर्थन किया था और बांग्ला भाषा को उर्दू से हीन बताया था|
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    पाकिस्तानी फौज ने १९७१ से पूर्व बांग्लादेश में लगभग २० से २५ लाख हिंदुओं की हत्या की थी| इसके अतिरिक्त लाखों बांग्लाभाषी मुसलमानों की भी हत्याएँ की| लाखों महिलाओं के साथ वहाँ पाकिस्तानी फौज द्वारा बलात्कार हुआ और अनगिनत बच्चों की हत्याएँ भी| वहाँ की अल-बदर नाम की एक संस्था के लोग रात में हिंदुओं के घरों के बाहर एक निशान लगा आते और दूसरे दिन पाकिस्तानी फौज वहाँ जाकर घर के सब पुरुषों को गोली मार देती और महिलाओं व बच्चों को उठा ले जाती| सड़कों पर अचानक सभी पुरुषों को रोक कर उनकी लूँगी खुलाकर चेकिंग होती और जिस भी पुरुष की खतना नहीं हुई होती उसे वहीं गोली मार दी जाती|
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    ऐसी हालत थी वहाँ के लोगों की जिसमें भुट्टो के साथ इन्होने ढाका में जाकर बंगाली लोगों से पाकिस्तान के समर्थन की अपील की थी| यह बात दूसरी है कि वहाँ इन की बात किसी ने भी नहीं सुनी| इनकी बीबी एक अंग्रेज़ महिला थी| इन्होने पाकिस्तानी फौज द्वारा किए गए जुल्मों व नर-संहार का कभी विरोध नहीं किया| ये खुद एक पूर्व पाकिस्तानी फौजी कर्नल थे, और लियाकत अली ख़ाँ की सरकार के तख़्तापलट की साजिश रचने के जुर्म में वे १९५१‍ से १९५५ तक पाकिस्तान में सजायाफ़्ता भी रहे थे| भारत के साथ १९६५ के पाकिस्तान से युद्ध के समय वे पाकिस्तान के सूचना मंत्रालय में वरिष्ठ अधिकारी थे|
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    सन १९७१ की सारी घटनाएँ मुझे अभी तक याद हैं| मैंने भी उस युद्ध में भाग लिया था| उस समय की बातें मैं नहीं करता| अनेक लोगों से भी मेरा मिलना हुआ था जो वहाँ की हालत के प्रत्यक्षदर्शी थे| वहाँ के बारे बहुत कुछ जानता हूँ| वे एक अच्छे कवि थे यह बात दूसरी है पर साथ साथ एक कट्टर जिहादी भी थे| उनका मार्क्सवाद एक दिखावा था|

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