Tuesday 10 April 2018

राजधर्म .....

राजधर्म .....
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भारत की प्राचीन राज्य व्यवस्था सर्वश्रेष्ठ थी| राजा धर्मनिष्ठ होते थे जिन पर धर्म का अंकुश रहता था| हर युग के राजा तपस्वी ऋषियों से मार्गदर्शन लेते थे| राजा निरंकुश न होकर जन-कल्याण के लिए समर्पित होते थे| श्रुतियों के अनुसार राजा की नीतियाँ निर्धारित होती थीं| भारत में अंग्रेजों के आने तक सभी हिन्दू राजा मनुस्मृति से मार्गदर्शन लेते थे| कुटिल धूर्त अंग्रेजों ने मनुस्मृति को ही विकृत करवा दिया| मनुस्मृति के ७वें अध्याय में राजधर्म की चर्चा की गयी है|
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हिन्दू राजाओं के शासन काल में राजधर्म की शिक्षा के मूल वेद ही थे| महाभारत में राजधर्म का विस्तृत विवेचन किया गया है| महाभारत युद्ध के समाप्त होने के पश्चात् महाराज युधिष्ठिर को भीष्म ने भी राजधर्म का उपदेश दिया था| मनुस्मृति के ७वें अध्याय में राजधर्म की चर्चा की गयी है| विदुर नीति, शुक्रनीति में भी राजधर्म की शिक्षा है| कालान्तर में चाणक्य ने भी राजधर्म पर बहुत कुछ लिखा है| जयपुर के राजाओं ने बड़े बड़े विद्वानों को बुलाकर राजधर्म पर पुस्तकें लिखवाई थीं, ऐसे उल्लेख मिलते हैं|
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भारत में वर्त्तमान लोकतंत्र अगले पचास वर्षों में पूरी तरह विफल हो जाएगा, और कोई नई व्यवस्था आयेगी जो वर्त्तमान व्यवस्था से श्रेष्ठतर ही होगी|

ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
१० अप्रेल २०१८

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