Thursday 12 April 2018

कब तक हम प्रार्थना ही करते रहेंगे ? .....

कब तक हम प्रार्थना ही करते रहेंगे ? .....
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कब तक हम प्रार्थना ही करते रहेंगे| प्रार्थना करते करते युग बीत गए हैं पर हम वहीं के वहीं हैं| अपनी दुर्बलताओं का त्याग कर के हम अपने आत्म-तत्व में स्थित हों| जिनको हम ढूँढ रहे हैं वह तो हम स्वयं हैं|
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हमें अपने विचारों पर और वाणी पर सजगता पूर्वक नियंत्रण रखना चाहिए| अधोगामी विचार पतन के कारण होते हैं| अनियंत्रित शब्द स्वयं की आलोचना, निंदा व अपमान का कारण बनते हैं| परमात्मा के किसी पवित्र मन्त्र का निरंतर जाप हमारी रक्षा करता है| परमात्मा हाथ में डंडा लेकर किसी बड़े सिंहासन पर बैठा कोई अलोकिक पुरुष नहीं है जो अपनी संतानों को दंड और पुरष्कार दे रहा है| जैसी अपनी सोच होती है वैसी ही परिस्थितियों का निर्माण हो जाता है| हमारे विचार और सोच ही हमारे कर्म हैं|
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परमात्मा तो एक अगम, अगोचर, अचिन्त्य परम चेतना है जो हम से पृथक नहीं है| वह चेतना ही यह लीला खेल रही है| कुछ लोग यह सोचते हैं कि परमात्मा ही सब कुछ करेगा और वही हमारा उद्धार करेगा| पर ऐसा नहीं है| हमारी उन्नत आध्यात्मिक चेतना ही हमारी रक्षा करेगी| यह एक ऐसा विषय है जिस पर उन्हीं से चर्चा की जा सकती है जिन के ह्रदय में कूट कूट कर प्रेम भरा है और जो पूर्ण रूप से परमात्मा को समर्पित होना चाहते हैं|
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वर्तमान काल में हमें विचलित नहीं होना चाहिए| समय ही खराब चल रहा है| सारे सेकुलर चाहे वे राजनीति में हों, या प्रशासन में, या न्यायपालिका में ..... सब के सब धर्मद्रोही हैं| सारी सेकुलर मिडिया भी धर्मद्रोही है| अवसर मिलते ही वे हमारी आस्थाओं पर मर्मान्तक प्रहार करने से नहीं चूकते| हमें धैर्यपूर्वक अपना शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक बल निरंतर बढाते रहना चाहिए| हमारी आध्यात्मिक शक्ति निश्चित रूप से हमारी रक्षा करेगी|

ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१२ अप्रेल २०१८

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