दरिद्रता
सबसे बड़ा पाप है जो मानसिक अयोग्यता से उत्पन्न होता है| दरिद्रता दो
प्रकार की होती है ..... एक तो भौतिक दरिद्रता और दूसरी आध्यात्मिक
दरिद्रता| दोनों ही हमारे पापों का फल है| अपना पूरा प्रयास कर के इन से हम
मुक्त हों| पर हमारे प्रयास धर्मसम्मत हों|
भौतिक समृद्धि ..... आध्यात्मिक समृद्धि का आधार है| भारत आध्यात्मिक रूप से समृद्ध था क्योंकि वह भौतिक रूप से भी समृद्ध था| गरीबी यानि दरिद्रता कोई आदर्श नहीं है, यह एक पाप है|
भौतिक समृद्धि ..... आध्यात्मिक समृद्धि का आधार है| भारत आध्यात्मिक रूप से समृद्ध था क्योंकि वह भौतिक रूप से भी समृद्ध था| गरीबी यानि दरिद्रता कोई आदर्श नहीं है, यह एक पाप है|
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