Tuesday 10 April 2018

नवरात्री का आध्यात्मिक महत्व :---

(११ अप्रेल २०१३)
नवरात्री का आध्यात्मिक महत्व :-
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भारतीय संस्कृति का सर्वाधिक महत्वपूर्ण पर्व है नवरात्री| इसका आध्यात्मिक महत्व जितना और जैसा मेरी सीमित बुद्धि से समझ में आया है उसे मैं यहाँ व्यक्त करने का दु:साहस कर रहा हूँ| अगर मेरे लेख में कोई कमी है तो वह मेरी नासमझी के कारण है जिसके लिए मैं विद्वजनों से प्रार्थना करता हूँ कि मेरी कमी दूर करें|
दुर्गा देवी तो एक है पर उसका प्राकट्य तीन रूपों में है, या यह भी कह सकते हैं कि इन तीनों रूपों का एक्त्व ही दुर्गा है| ये तीन रूप हैं ----
(१) महाकाली| (२) महालक्ष्मी (३) महासरस्वती|
नवरात्रों में हम माँ के इन तीनों रूपों की साधना करते हैं| माँ के इन तीन रूपों की प्रीति के लिए ही समस्त साधना की जाती है|

(१) महाकाली ----
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महाकाली की आराधना से विकृतियों और दुष्ट वृत्तियों का नाश होता है| माँ दुर्गा का एक नाम है -- महिषासुर मर्दिनी| महिष का अर्थ होता है -- भैंसा, जो तमोगुण का प्रतीक है| आलस्य, अज्ञान, जड़ता और अविवेक ये तमोगुण के प्रतीक हैं| महिषासुर वध हमारे भीतर के तमोगुण के विनाश का प्रतीक है| इनका बीज मन्त्र "क्लीम्" है|
(२) महालक्ष्मी ------
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ध्यानस्थ होने के लिए अंतःकरण का शुद्ध होना आवश्यक होता है जो महालक्ष्मी की कृपा से होता है| सच्चा ऐश्वर्य है आतंरिक समृद्धि| हमारे में सद्गुण होंगे तभी हम भौतिक समृद्धि को सुरक्षित रख सकते हैं| तैतिरीय उपनिषद् में ऋषि प्रार्थना करते हैं कि हे प्रभु जब पहिले हमारे सद्गुण पूर्ण रूप से विकसित हो जाएँ तभी हमें सांसारिक वैभव देना| हमारे में सभी सद्गुण आयें यह महालक्ष्मी की साधना है| इन का बीज मन्त्र "ह्रीं" है|
(३) महासरस्वती ----
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गीता में भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि अपनी आत्मा का ज्ञान ही ज्ञान है| इस आत्मज्ञान को प्रदान करती है -- महासरस्वती| इनका बीज मन्त्र है "अईम्"|
नवार्ण मन्त्र:
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माँ के इन तीनों रूपों से प्रार्थना है कि हमें अज्ञान रुपी बंधन से मुक्त करो| बौद्धिक जड़ता सबसे अधिक हानिकारक है| यही अज्ञान है और यही हमारे भीतर छिपा महिषासुर है जो माँ की कृपा से ही नष्ट होता है|
सार -----
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नवरात्रि का सन्देश यही है कि समस्त अवांछित को नष्ट कर के चित्त को शुद्ध करो| वांछित सद्गुणों का अपने भीतर विकास करो| आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करो और सीमितताओं का अतिक्रमण करो|
यही वास्तविक विजय है|
मैंने मेरी बात कम से कम शब्दों में व्यक्त कर दी है जो समझाने के लिए पर्याप्त है| इससे अधिक लिखना मेरे लिए बौद्धिक स्तर पर संभव नहीं है| जय माँ|
सबका कल्याण हो|
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
११ अप्रेल २०१३

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