Tuesday 26 September 2017

संसार की अथाह पीड़ा से मुक्ति का उपाय .... साक्षी भाव ....

संसार की अथाह पीड़ा से मुक्ति का
मुझे तो एक ही उपाय लगता है, और वह है ..... "साक्षी भाव" |

जितनी हमारी सामर्थ्य है, जितनी हमारी क्षमता और योग्यता है, उसमें अपना सर्वश्रेष्ठ करें और बाकी सब परमात्मा को समर्पित कर साक्षी भाव में जीएँ| हम यह देह नहीं हैं, यह देह हमारा एक वाहन मात्र है जिस पर हम यह लोकयात्रा कर रहे हैं| पीड़ा है तो वह इस देह की पीड़ा है जिस के साक्षी होने को हम प्रारब्धानुसार बाध्य हैं|
.
अपने विचारों को परमात्मा पर केन्द्रित कर दीजिये| हमारे माध्यम से स्वयं परमात्मा ही इस पीड़ा को भुगत रहे हैं| हमारे दुःख-सुख पाप-पुण्य सब उन्हीं के हैं| उन सच्चिदानंद भगवान परमशिव का कौन क्या बिगाड़ सकता है जिन का कभी जन्म ही नहीं हुआ| मृत्यु उसी की होती है जिसका जन्म होता है| हम उन परमात्मा के साथ अपनी चेतना को जोड़ें जो जन्म और मृत्यु से परे हैं| हम यह देह नहीं, शाश्वत अजर अमर चैतन्य आत्मा हैं|
.
सारे कष्ट हमारे ही कर्मों के फल हैं जिन्हें हम रो कर भुगतें या हँस कर| पूर्व जन्मों में हमने मुक्ति के उपाय नहीं किये इस लिये यह कष्टमय जन्म लेना पड़ा| अब इस दुःख से स्थायी मुक्ति पाने की चेष्टा करें| यह वेदना और पीड़ा हमारी नहीं, परमात्मा की है| कोई भी पीड़ा स्थायी नहीं है, सिर्फ हमारे ह्रदय का प्रेम और आनंद ही स्थायी हैं|

ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||
२३ सितम्बर २०१७

No comments:

Post a Comment