Monday 15 August 2016

!! ॐ अहं भारतोऽस्मि ॐ ॐ ॐ !! मेरी देह भारतवर्ष है |

!! ॐ अहं भारतोऽस्मि ॐ ॐ ॐ !! मेरी देह भारतवर्ष है |
मैं ही भारतवर्ष हूँ और समस्त सृष्टि मेरा ही विस्तार है| ॐ ॐ ॐ ||
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"मैं भारतवर्ष, समस्त भारतवर्ष हूँ, भारत-भूमि मेरा अपना शरीर है। कन्याकुमारी मेरा पाँव है, हिमालय मेरा सिर है, मेरे बालों में श्रीगंगा जी बहती हैं, मेरे सिर से सिन्धु और ब्रह्मपुत्र निकलती हैं, विन्ध्याचल मेरा कमरबन्द है, कुरुमण्डल मेरी दाहिनी और मालाबार मेरी बाईं जंघाएँ है। मैं समस्त भारतवर्ष हूँ, इसकी पूर्व और पश्चिम दिशाएँ मेरी भुजाएँ हैं, और मनुष्य जाति को आलिंगन करने के लिए मैं उन भुजाओं को सीधा फैलाता हूँ। आहा ! मेरे शरीर का ऐसा ढाँचा है ! यह सीधा खड़ा है और अनन्त आकाश की ओर दृष्टि दौड़ा रहा है। परन्तु मेरी वास्तविक आत्मा सारे भारतवर्ष की आत्मा है। जब मैं चलता हूँ तो अनुभव करता हूँ कि सारा भारतवर्ष चल रहा है। जब मैं बोलता हूँ तो मैं भान करता हूँ कि यह भारतवर्ष बोल रहा है। जब मैं श्वास लेता हूँ, तो अनुभव करता हूँ कि भारतवर्ष श्वास ले रहा है। मैं भारतवर्ष हूँ, मैं शंकर हूँ, मैं शिव हूँ और मैं सत्य हूँ|" --- स्वामी रामतीर्थ ---
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"भारतभूमि .... आसेतु हिमालय पर्यन्त एक 'सिद्ध कन्या' ही नहीं साक्षात माता है|"
मूलाधार चक्र कन्याकुमारी' है, जहाँ का त्रिकोण शक्ति का स्त्रोत है|
इसी मूलाधार से इड़ा पिंगला और सुषुम्ना नाड़ियाँ प्रस्फुटित होती हैं| कैलाश पर्वत सहस्त्रार है|
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भारतवर्ष स्वयं में है| इसे स्वयं में पहचानो|
ॐ अहं भारतोऽस्मि ॐ ॐ ॐ !! मैं ही भारतवर्ष हूँ और समस्त सृष्टि मेरा ही विस्तार है| ॐ ॐ ॐ ||

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