Sunday 31 October 2021

जो कुछ भी भगवान का है, वह हम स्वयं हैं ---

भगवान की भक्ति, भगवान से कुछ लेने के लिए नहीं, उन्हें अपना पृथकत्व का मायावी बोध बापस लौटाने के लिए होती है| हम उन सच्चिदानंद भगवान के अंश हैं, वे स्वयं ही हमारे हैं और हम उनके हैं, अतः जो कुछ भी भगवान का ही, वह हम स्वयं हैं| हम उनके साथ एक हैं, उन से पृथक नहीं|
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प्रश्न : भगवान से हमें पृथक किसने किया है?
उत्तर : हमारे राग-द्वेष और अहंकार ने| और भी स्पष्ट शब्दों में हमारा सत्यनिष्ठा का अभाव, प्रमाद, दीर्घसूत्रता, और लोभ हमें भगवान से दूर करते हैं| हमारा थोड़ा सा भी लोभ, बड़े-बड़े कालनेमि/ठगों को हमारी ओर आकर्षित करता है| जो भी व्यक्ति हमें थोड़ा सा भी प्रलोभन देता है, चाहे वह आर्थिक या धार्मिक प्रलोभन हो, वह शैतान है, उस से दूर रहें|
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जो वास्तव में भगवान का भक्त है, वह भगवान के सिवाय और कुछ भी नहीं चाहता| जो हमारे में भगवान के प्रति प्रेम जागृत करे, जो हमें सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा दे, वही संत-महात्मा है, उसी का संग करें| अन्य सब विष यानि जहर मिले हुए शहद की तरह हैं| किसी भी तरह के शब्द जाल से बचें| हमारा प्रेम यानि भक्ति सच्ची होगी तो भगवान हमारी रक्षा करेंगे| सभी का कल्याण हो|
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हरिः ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१ नवंबर २०२०

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