Thursday 5 August 2021

मेरा स्वाभाविक प्रेम -- भारत और सनातन धर्म से है ---

 

मैं किसी भी प्रकार की वाहवाही या प्रशंसा के लिए नहीं लिखता। वाहवाही व प्रशंसा करने वालों से मैं प्रभावित भी नहीं होता। भगवान से प्रेम मेरा स्वभाव है जो मुझे लिखने के लिए बाध्य कर देता है। मेरी रुचि सिर्फ उन महान आत्माओं में है जिनके हृदय में भगवान के प्रति कूट-कूट कर प्रेम भरा पड़ा है और जो नित्य नियमित उपासना करते हैं। अन्य किसी से मेरा कणमात्र भी हार्दिक जुड़ाव नहीं है।
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भगवान का निज जीवन में साक्षात्कार -- सनातन धर्म है, जिस की सर्वाधिक अभिव्यक्ति भारत में हुई है। इसलिए मेरा स्वाभाविक प्रेम -- भारत और सनातन धर्म से है। सनातन धर्म की पुनर्प्रतिष्ठा और वैश्वीकरण हो, व भारत एक सत्यनिष्ठ धर्मावलम्बी राष्ट्र बने जहाँ की राजनीति सत्य-सनातन-धर्म हो, यह मेरा संकल्प है जो निश्चित रूप से फलीभूत होगा। भगवान से भी ऐसा आश्वासन मुझे प्राप्त है। मेरे निज जीवन में भी परमात्मा की पूर्ण अभिव्यक्ति है, किसी भी तरह का कोई भेद नहीं है।
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ॐ तत्सत् !! ॐ स्वस्ति !! ॐ नमः शिवाय !! ॐ नमो भगवते वासुदेवाय !!
कृपा शंकर
३ अगस्त २०२१

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