यह अति सुंदर पुष्प, इस निर्जन पथरीली भूमि पर नहीं, मेरे शुष्क ह्रदय में खिला है. मैं परमात्मा का पुष्प हूँ. प्रभु की उपस्थिति के प्रकाश से इस पुष्प की भक्ति रूपी पंखुडियाँ खिल उठी हैं, और इसकी महक इस हृदय से सभी हृदयों में व्याप्त हो रही हैं. परमात्मा भी मुझे अपनी बाँहों में लेने के लिए बेचैन हैं. मैं उनके साथ एक हूँ.
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'आत्मज्ञान'
ही परम धर्म है| ब्रह्मज्ञान और आत्मज्ञान दोनों एक ही हैं, जिनका अर्थ है
परमात्मा का ज्ञान| सबसे बड़ी सेवा जो हम अपने परिवार, समाज, राष्ट्र, देश
और विश्व की कर सकते हैं, वह है ..."आत्मसाक्षात्कार"| आत्म-साक्षात्कार एक
अवस्था है जिसमें हम स्वयं को परमात्मा यानि ब्रह्म के साथ एक पाते हैं|
यह परमात्मा के विशेष अनुग्रह यानि उनकी परम कृपा से ही होता है| भगवान को
हम अपना पूर्ण प्रेम देंगे तो वे भी निश्चित रूप से अपनी कृपा करेंगे|
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निरंतर
प्रभु की चेतना में स्थिर रहें, यह बोध रखें कि हमारी आभा और स्पंदन पूरी
सृष्टि और सभी प्राणियों की सामूहिक चेतना में व्याप्त हैं, और सब का
कल्याण कर रहे हैं| प्रभु की सर्वव्यापकता हमारी सर्वव्यापकता है, सभी
प्राणियों और सृष्टि के साथ हम एक हैं| हमारा सम्पूर्ण अहैतुकी परम प्रेम
पूरी समष्टि का कल्याण कर रहा है| हम और हमारे प्रभु एक हैं|
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
११ जुलाई २०२१
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