Thursday 5 August 2021

योगारूढ़ (योगयुक्त) कौन है? ---

योगारूढ़ (योगयुक्त) कौन है? ---
जो ज्ञान-विज्ञान से तृप्त और कूटस्थ है, वही योगारूढ़ यानि योगयुक्त है। शास्त्रोक्त विषयों को समझने का नाम ज्ञान है, और शास्त्र से समझे हुए भावों को अन्तःकरण में प्रत्यक्ष अनुभव करनेका नाम विज्ञान है। वह चिंतन-मनन द्वारा अपने सारे संशयों को दूर कर जानने योग्य हर विषय को अनुभवगम्य बना लेता है। योगारूढ़ महात्मा का कर्ताभाव बहुत पीछे छूट जाता है। उसमें कोई आकांक्षा नहीं होती। उसकी हरेक क्रिया से लोक-कल्याण ही होता है। उसका हर वचन एक उपदेश है। श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान कहते हैं --
"ज्ञानविज्ञानतृप्तात्मा कूटस्थो विजितेन्द्रियः।
युक्त इत्युच्यते योगी समलोष्टाश्मकाञ्चनः॥६:८॥"
"सुहृन्मित्रार्युदासीनमध्यस्थद्वेष्यबन्धुषु।
साधुष्वपि च पापेषु समबुद्धिर्विशिष्यते॥६:९॥"
अर्थात् जो योगी ज्ञान और विज्ञान से तृप्त है, जो विकार रहित (कूटस्थ) और जितेन्द्रिय है, जिसको मिट्टी, पाषाण और कंचन समान है, वह (परमात्मा से) युक्त (योगारूढ़) कहलाता है॥ जो पुरुष सुहृद्, मित्र, शत्रु, उदासीन, मध्यस्थ, द्वेषी और बान्धवों में तथा धर्मात्माओं में और पापियों में भी समान भाव वाला है, वह श्रेष्ठ है॥
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ॐ तत्सत् !! ॐ स्वस्ति !!
१६ जुलाई २०२१

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