Tuesday 12 May 2020

धर्मरक्षा के अतिरिक्त अभी अन्य सब विषय गौण हैं .....

धर्मरक्षा के अतिरिक्त अभी अन्य सब विषय गौण हैं| धर्म की रक्षा उसके पालन से ही होगी| तभी भगवान हमारी रक्षा करेंगे| हमारी आध्यात्मिक साधना धर्मरक्षा हेतु ही हो| अपने स्वधर्म पर हम अडिग रहें|
भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं ....
"श्रेयान्स्वधर्मो विगुणः परधर्मात्स्वनुष्ठितात्| स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः||३:३५||"
"नेहाभिक्रमनाशोऽस्ति प्रत्यवायो न विद्यते| स्वल्पमप्यस्य धर्मस्य त्रायते महतो भयात्||२:४०||"
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हमारे आदर्श कौन हो सकते हैं?
इस का कोई भी उत्तर सभी के लिए एक नहीं हो सकता| सभी की सोच अलग-अलग होती है| जहां तक मेरी सोच है, मेरे आदर्श तो वे ही हो सकते हैं जो मेरे साथ एक हैं| वे निरंतर मेरी चेतना में रहते हैं, उनसे पृथकता की मैं कभी कल्पना भी नहीं कर सकता|
यह एक परम गोपनीय रहस्य ही रहे तो ठीक है| अपना रहस्य किसी को बताना भी नहीं चाहिए|
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हारिये ना हिम्मत, बिसारिये न हरिः नाम| जब भी समय मिले तब कूटस्थ सूर्यमण्डल में पुरुषोत्तम का ध्यान करें| गीता में जिस ब्राह्मी स्थिति की बात कही गई है, निश्चय पूर्वक प्रयास करते हुए आध्यात्म की उस परावस्था में रहें| सारा जगत ही ब्रह्ममय है| किसी भी परिस्थिति में परमात्मा के अपने इष्ट स्वरूप की उपासना न छोड़ें| पता नहीं कितने जन्मों में किए हुए पुण्य कर्मों के फलस्वरूप हमें भक्ति का यह अवसर मिला है| कहीं ऐसा न हो कि हमारी ही उपेक्षा से परमात्मा को पाने की हमारी अभीप्सा ही समाप्त हो जाए|
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"वेदान्त के ब्रह्म ही साकार रूप में प्रत्यक्ष भगवान श्रीकृष्ण स्वयं हैं, वे ही योगियों के परमशिव और पुरुषोत्तम हैं, और वे ही परमेष्ठि परात्पर सद्गुरु हैं| तत्व रूप से कोई भेद नहीं है|"
"आदि अंत कोउ जासु न पावा| मति अनुमानि निगम अस गावा||
बिनु पद चलइ सुनइ बिनु काना| कर बिनु करम करइ बिधि नाना||
आनन रहित सकल रस भोगी| बिनु बानी बकता बड़ जोगी||
तनु बिनु परस नयन बिनु देखा| ग्रहइ घ्रान बिनु बास असेषा||
असि सब भाँति अलौकिक करनी| महिमा जासु जाइ नहिं बरनी||"


७ मई २०२० 

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