Wednesday 6 May 2020

आध्यात्मिक साधना के लिए हठयोग की आधारभूत आवश्यकता :----

आध्यात्मिक साधना के लिए हठयोग की आधारभूत आवश्यकता :----
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आध्यात्मिक साधना के लिए हम हठयोग की उपेक्षा नहीं कर सकते| हठयोग के कुछ साधन हैं जिन के बिना हमें योगमार्ग में सफलता बिल्कुल नहीं मिल सकती| मैं तीन मूलभूत आवश्यकताओं की चर्चा कर रहा हूँ जिनकी सिद्धि हठयोग से ही संभव है .....
(१) साधनाकाल में हमारी कमर सदा सीधी रहे .....
साधनाकाल में मेरुदंड का उन्नत रहना अत्यंत आवश्यक है| जिनकी कमर झुक गई है, उन्हें सिद्धि नहीं मिल सकती, क्योंकि सुषुम्ना नाड़ी में उनका प्राण-प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है| किसी सिद्ध पुरुष की कमर झुक जाए तो उसे कोई फर्क नहीं पड़ता, पर कमर के झुकते ही साधक की साधना अवरुद्ध हो जाती है| उसे पुनर्जन्म लेना ही पड़ता है| हठयोग के कई आसन हैं जिनके नियमित अभ्यास से कमर कभी नहीं झुकती|
(२) दोनों नासिकाओं से सांस चलती रहे .....
जब तक दोनों नासिकाओं से सांस नहीं चलती, ध्यान में सफलता नहीं मिलती| ध्यान होता ही तभी है जब दोनों नासिकाओं से सांस चल रही हो| हठयोग में कई क्रियाएँ हैं जिनसे नासिकायें अवरुद्ध नहीं होती| यदि फिर भी कोई समस्या हो तो किसी अच्छे ई.एन.टी.सर्जन से सर्जरी द्वारा उपचार कराना पड़ता है| मेरी नासिकाओं में दो आंतरिक दोष थे जिनसे मुझे सांस लेने में बड़ी कठिनाई होती थी| वर्षों पहिले दो बार नाक की सर्जरी करानी पड़ी थी, फिर कभी कोई कठिनाई नहीं हुई|
(३) आसन में स्थिरता हो .....
किसी एक आसन में स्थिर होकर सुख से दीर्घ काल तक बैठ सकें, यह बहुत बड़ी आवश्यकता है जो हठयोग के अभ्यास से ही संभव है| फिर कुछ प्राणायाम हैं जिनकी सिद्धि हुए बिना भी आसन में स्थिरता नहीं आती|
और भी कई बातें हैं, पर ये तीन मूलभूत आवश्यकताएँ हैं जिनकी सिद्धि हठयोग से ही संभव है|
सभी को नमन | ॐ तत्सत् ||
कृपा शंकर
१३ मार्च २०२०

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