Friday, 16 September 2016

सूक्ष्म जगत में भारत के भविष्य की रूपरेखा ......

सूक्ष्म जगत में भारत के भविष्य की रूपरेखा ......
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सूक्ष्म जगत में भारत के भविष्य की रूपरेखा है जिसका ज्ञान स्वामी विवेकानंद, स्वामी रामतीर्थ, श्री अरविन्द, परमहंस योगानंद आदि युगपुरुषों को था| पिछले सवा सौ वर्षों के इतिहास को देखिये, अनेक चमत्कारी घटनाएँ हुई हैं जिनकी किसी ने कल्पना तक नहीं की थी| दिखने में वे छोटी मोटी घटनाएँ ही थीं पर उन्होंने विश्व की चिंतन धारा को बदल दिया| भारत का पुनरोत्थान एक महानतम घटना होगी जिससे समस्त विश्व को एक नई दिशा मिलेगी और असत्य व अंधकार की आसुरी शक्तियों का पराभव होगा|
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(1) क्या सन १९०५ ई.में किसी ने कल्पना भी की थी कि जापान जैसा एक छोटा सा देश रूस जैसे विशाल देश की सेना को युद्ध में हराकर उससे पोर्ट आर्थर (वर्तमान दायरन, चीन में) व मंचूरिया (वर्त्तमान में चीन का भाग) छीन लेगा और रूस की शक्तिशाली नौसेना को त्शुसीमा जलडमरूमध्य (जापान व कोरिया के मध्य) में डूबा देगा? उस झटके से रूस अभी तक उभर नहीं पाया है|
बोल्शेविक क्रांति जो वोल्गा नदी में खड़े रूसी युद्धपोत औरोरा के नौसैनिकों के विद्रोह से आरम्भ हुई और लेनिन के नेतृत्व में पूरे रूस में फ़ैल गयी के पीछे भी मुख्यतः इसी निराशा का भाव था|
उपरोक्त घटना से प्रेरणा लेकर भारत में क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष आरम्भ किया| भारत में अंग्रेजों ने इतने अधिक नर-संहार किये (पाँच-छः करोड़ से अधिक भारर्तीयों की ह्त्या अंग्रेजों ने की) और भारतीयों को आतंकित कर के यह धारणा जमा दी थी कि गोरी चमड़ी वाले फिरंगी अपराजेय हैं| उपरोक्त युद्ध से यह अवधारणा समाप्त हो गयी|

(2) किस तरह बाध्य होकर रूस को अलास्का बेचना पडा था अमेरिका को, यह भी एक ऐसी ही घटना थी|
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(3) क्या प्रथम विश्व युद्ध के समय तक किसी ने कल्पना भी की थी कि ओटोमन साम्राज्य बिखर जाएगा और खिलाफत का अंत हो जाएगा? वे लोग जो स्वयं को अपराजेय मानते थे, पराजित हो गए|
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(4) जर्मनी जैसा एक पराजित राष्ट्र विश्व का सबसे अधिक शक्तिशाली देश बनकर उबरेगा और पराजित होकर खंडित होगा और फिर एक हो जाएगा, यह क्या किसी चमत्कार से कम था ?
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(5) ब्रिटिश साम्राज्य का विखंडन, जापान की हार, भारत की स्वतंत्रता, चीन में साम्यवादी शासन की स्थापना, सोवियत संघ का विघटन, साम्यवादी विचारधारा का पराभव आदि क्या किसी अप्रत्याशित चमत्कार से कम थे?
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ऐसे ही भारत में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना भी एक चमत्कार से कम नहीं होगा| भारत के आध्यात्मिक राष्ट्रवाद से समस्त सृष्टि का कल्याण होगा क्योंकि इससे सनातन धर्म की पुनर्स्थापना और प्रतिष्ठा होगी| भारत में आध्यात्मिक राष्ट्रवाद का अभ्युदय नहीं हुआ तो पूरी मानवता ही अन्धकार में चली जायेगी| भगवान कभी भी नहीं चाहेंगे की ऐसा हो अतः वे निश्चित रूप से भारत की रक्षा करेंगे|
आध्यात्मिक राष्ट्रवाद ही भारत का भविष्य है|
ॐ ॐ ॐ !!
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17 सितम्बर 2013

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