Friday, 16 September 2016

सबसे बड़ा डर .......

सबसे बड़ा डर .......
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सबसे बड़ा डर मुझे अपनी एक मानसिक बीमारी से लगता है | उस बीमारी से अधिकाँश लोग ग्रस्त हैं| वह बीमारी एक महामारी की तरह फ़ैली हुई है| पूरा समाज और राष्ट्र ही उस महामारी से ग्रस्त है| भगवान मेरी उस महामारी से रक्षा करें| वह महामारी है ... "दम्भित्व" |
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दंभ का अर्थ है झूठा दिखावा और कपट | "अमानीत्व" के साथ साथ "अदम्भित्व"
का गुण भी आवश्यक है, प्रभु प्राप्ति के लिए |
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मैं आंशिक रूप से स्वयं को इस बीमारी से ग्रस्त पाता हूँ, और इससे मुक्त होने का प्रयत्न कर रहा हूँ, अतः किसी की आलोचना का अधिकार मुझ में नहीं है | पर शीघ्र ही इस बीमारी से मुक्त हो जाऊंगा |
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बात करते करते बीच बीच में हम अंग्रेजी बोलने लगते हैं, अंग्रेजी के शब्दों का प्रयोग करने लगते हैं, यह हमारा दंभ ही है|
दिखावे के लिए संस्कृत का कोई श्लोक, कोई शेर-शायरी, कोई दोहा , चुटकला, या कोई असंगत बात करने लगते हैं, यह भी हमारा दंभ ही है|
कुछ भी जानने का झूठा दिखावा एक दंभ है|
विवाह-शादी आदि में दिखावे के लिए अनावश्यक खर्च भी एक दंभ है|
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किसी भी तरह का दिखावा एक दंभ है, चाहे वह अपने ज्ञान का हो, या समृद्धि का| यह दिखावा एक दंभ है जिसे हम माया का आवरण भी कह सकते हैं| यह आवरण हमें परमात्मा से दूर करता है|
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दम्भभाव ही कपटभाव है । जब तक मनसे कपट नहीं जाता तब तक मनुष्य परमात्मा का ज्ञान प्राप्त करने में असमर्थ रहता है । कभी कभी हम शिकायत करते हैं कि हमें भगवान की प्राप्ति क्यों नहीं होती | इसके अनेक कारणों में से ये दो मुख्य हैं ..... मानित्व यानि कर्ताभाव, और दम्भित्व यानि झूठा दिखावा | मोहे कपट छल छिद्र न भावा |
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सभी का कल्याण हो | आप सब को नमन ! ॐ नमः शिवाय ! ॐ ॐ ॐ !!

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