Friday 16 September 2016

जीवन एक शाश्वत जिज्ञासा है सत्य को जानने की .....

जीवन एक शाश्वत जिज्ञासा है सत्य को जानने की .....
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वर्तमान में तो चारों और असत्य ही असत्य दिखाई दे रहा है| पर यह अन्धकार अधिक समय तक नहीं रहेगा| असत्य, अंधकार और अज्ञान की शक्तियों का पराभव निश्चित रूप से होगा| मनुष्य जीवन की सार्थकता भेड़ बकरी की तरह अंधानुक़रण करने में नहीं है, अपितु सत्य का अनुसंधान करने और उसके साथ डटे रहने में है|
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मुझे गर्व है मेरे धर्म और संस्कृति पर| मुझे गर्व है भारत के ऋषियों पर जिन्होंने सत्य को जानने के प्रयास में परमात्मा के साथ साक्षात्कार किया और ज्ञान का एक अथाह भण्डार छोड़ गए| हमारे प्राणों में जो तड़प है और जो प्रचंड अग्नि हमारे ह्रदय में जल रही है वह ही इसका बोध करा सकती है कि सत्य क्या है| उसे निरंतर प्रज्ज्वलित रखो|
वह तड़प और वह प्रचंड अग्नि ही वास्तविक शाश्वत जिज्ञासा है जो सत्य का बोध करा सकती है| जीवन एक ऊर्ध्वगामी और सतत विस्तृत प्रवाह है कोई जड़ बंधन नहीं| स्वयं को किसी भी प्रकार के बंधन में न बाँधें| इसे प्रवाहित ही होते रहने दें| अपने व्यवहार, आचरण और सोच में कोई जड़ता न लायें| अपने अहंकार को किनारे पर छोड़ दें और प्रभु चैतन्य के आनंद में स्वयं को प्रवाहित होने दें| सारी अनन्तता और प्रचूरता हमारी ही है|
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हम न तो स्त्री हैं और न पुरुष|, हम एक शाश्वत आत्मा हैं| भौतिक जगत में हम यह देह नहीं बल्कि परमात्मा के एक अंश और उसके उपकरण हैं| मानवीय चेतना में बंधना ही हमारे दुःखों का कारण है| सुख और दुःख की अनुभूतियों से हमें ऊपर उठना ही होगा| हम कर्ता नहीं हैं| कर्ता तो परमात्मा है| हम तो उसके एक उपकरण मात्र हैं| हम न तो पापी हैं और न पुण्यात्मा| हम परमात्मा की छवि मात्र हैं| हमारी यह मनुष्य देह हमारा वाहन मात्र है| हम यह देह नहीं हैं| हमारा स्तर तो देवताओं से भी ऊपर है| अपने देवत्व से भी उपर उठो|
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किसी भी विचारधारा या मत-मतान्तर में स्वयं को सीमित ना करें| हम सबसे ऊपर हैं| हैं| हम सिर्फ और सिर्फ भगवान के हैं, अन्य किसी के नहीं| उनकी सारी सृष्टि हमारी है| हम किसी अन्य के नहीं हैं और कोई अन्य हमारा नहीं है| हमारा एकमात्र सम्बन्ध परमात्मा से है | अपने समस्त बंधन और सीमितताएँ उन्हें समर्पित कर उनके साथ ही जुड़ जाओ| हम शिव है, जीव नहीं| अपने शिवत्व को व्यक्त करो|
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प्राचीन काल में असुरों, राक्षसों और पिशाचों की शक्ल-सूरत पृथक हुआ करती होगी पर अब इस युग में तो ये सब मनुष्य देह धारण कर हमारे मध्य ही घूम रहे हैं|
कौन नर-पिशाच है और कौन मनुष्य इसका निर्णय करना असम्भव है| दोनों एक से लगते हैं| वर्तमान में तो इन्ही का वर्चस्व है| पता नहीं क्या कर्म किये होंगे कि इनकी शक्ल देखनी पड़ती है| अतः अपनी संगती के बारे में सचेत रहो|
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भारत का भविष्य सनातन धर्म पर निर्भर है, पूरी पृथ्वी का भविष्य भारत के भविष्य पर निर्भर है, और पूरी सृष्टि का भविष्य पृथ्वी के भविष्य पर निर्भर है|
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सत्य ही परमात्मा है| सत्यनिष्ठ होकर ही हम परमात्मा से जुड़ सकते हैं| ह्रदय में कोई कुटिलता और अहंकार न हो| असत्य वादन करने यानि झूठ बोलने से वाणी दग्ध हो जाती है| उस दग्ध वाणी से किया कोई भी जप, प्रार्थना और साधना फलीभूत नहीं होती|
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ॐ तत्सत ! अयमात्मा ब्रह्म ! ॐ नमः शिवाय ! ॐ ॐ ॐ !

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