क्या परमात्मा में, सद्गुरू में और स्वयं में कोई भेद है?
भेद आरंभ में ही रहता है, कालांतर में कोई भेद नहीं रहता| गुरु और चेला दोनों परमात्मा में एक हो जाते हैं| फिर परमात्मा से भी कोई भेद नहीं रहता| सभी आपस में एक हो जाते हैं| स्वयं को, गुरु को और परमात्मा को सीमित नहीं कर सकते|
आवश्यकता है सत्यनिष्ठा और लगन की, और कुछ भी नहीं चाहिए| हमारे में लाख कमियाँ हों हिमालय जितनी बड़ी-बड़ी, पर परमात्मा के कृपासिन्धु में वे छोटे-मोटे कंकड़-पत्थर से बड़ी नहीं हैं|
२८ जून २०२०
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