Saturday, 22 February 2025

परमात्मा की एक झलक जब भी मिल जाये तब अन्य सब गौण है ---

परमात्मा की एक झलक जब भी मिल जाये तब अन्य सब गौण है। वे ही एकमात्र सत्य हैं, वे ही लक्ष्य हैं, वे ही मार्ग हैं, वे ही सिद्धान्त हैं, और सब कुछ वे ही हैं। उनसे परे इधर-उधर देखना भटकाव है। परमात्मा के लिए हमें पाप-पुण्य, और धर्म-अधर्म से भी ऊपर उठना ही पड़ेगा। कालचक्र घूम चुका है। बुरे दिन व्यतीत हो रहे हैं। राष्ट्रद्रोही आसुरी शक्तियों का नाश निश्चित है। भगवान उनके लिए अब काल हैं --

"कालोऽस्मि लोकक्षयकृत्प्रवृद्धोलोकान्समाहर्तुमिह प्रवृत्तः|
ऋतेऽपि त्वां न भविष्यन्ति सर्वे येऽवस्थिताः प्रत्यनीकेषु योधाः||११:३२||"
"तस्मात्त्वमुक्तिष्ठ यशो लभस्व जित्वा शत्रून्भुङ्क्ष्व राज्यं समृद्धम्‌|
मयैवैते निहताः पूर्वमेव निमित्तमात्रं भव सव्यसाचिन्‌||११:३३||" (गीता)
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ॐ तत्सत् !!
२१ मई २०२४

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