परमात्मा की एक झलक जब भी मिल जाये तब अन्य सब गौण है। वे ही एकमात्र सत्य हैं, वे ही लक्ष्य हैं, वे ही मार्ग हैं, वे ही सिद्धान्त हैं, और सब कुछ वे ही हैं। उनसे परे इधर-उधर देखना भटकाव है। परमात्मा के लिए हमें पाप-पुण्य, और धर्म-अधर्म से भी ऊपर उठना ही पड़ेगा। कालचक्र घूम चुका है। बुरे दिन व्यतीत हो रहे हैं। राष्ट्रद्रोही आसुरी शक्तियों का नाश निश्चित है। भगवान उनके लिए अब काल हैं --
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