Saturday, 22 February 2025

हमारा विवेक यानि प्रज्ञा ही अब तक महाविनाश से हमारी रक्षा कर रही है ---

हमारा विवेक यानि प्रज्ञा ही अब तक महाविनाश से हमारी रक्षा कर रही है, और हमारे प्रज्ञापराध ही हमारा महाविनाश करेंगे। जीवन में जो सर्वश्रेष्ठ कार्य हम कर सकते हैं, वह है -- परमात्मा की भक्ति और परमात्मा को समर्पण। द्वैत भाव की समाप्ति -- समर्पण है, और आत्मतत्व में स्थिति -- ध्यान, उपासना, व उपवास है।

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सारे सद्गुणों व ज्ञान के स्त्रोत परमात्मा हैं| हमारा प्रेम और समर्पण उन्हीं के प्रति हो| उन्हीं का हम ध्यान करें| पात्रतानुसार सारा मार्गदर्शन वे स्वयं करते हैं| परमात्मा से प्रेम -- सबसे बड़ा सद्गुण है जो सभी सद्गुणों को अपनी ओर आकर्षित करता है| अपने हृदय का पूर्ण प्रेम परमात्मा को दें| उन्हीं में सुख, शांति, समृद्धि, सुरक्षा, संतुष्टि, और तृप्ति है|

ॐ स्वस्ति !

कृपा शंकर
१३ अप्रेल २०२१

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