Sunday, 23 February 2025

आध्यात्म में किसी भी तरह की आकांक्षा और अपेक्षा ... पतन का कारण हैं, और अभीप्सा व परमप्रेम ... उन्नति का आरंभ है .....

 आध्यात्म में किसी भी तरह की आकांक्षा और अपेक्षा ... पतन का कारण हैं, और अभीप्सा व परमप्रेम ... उन्नति का आरंभ है .....

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मैं भगवान की प्रेरणा से पिछले आठ वर्षों से फेसबुक पर हिन्दू-राष्ट्रवाद और भगवान से प्रेम पर आध्यात्मिक लेख लिखता आ रहा हूँ| यह मेरा प्रयास या कणमात्र भी मेरी कोई महिमा नहीं थी| सारी प्रेरणा और कृपा, भगवान की ही थी| अच्छा या बुरा जो कुछ भी लिखा गया वह भगवान की प्रेरणा से ही लिखा गया| वे ही लिखने वाले थे, और वे ही लिखाने वाले थे, सारी महिमा उन्हीं की थी| अब इस शरीर का स्वास्थ्य ठीक नहीं चल रहा है| अतः कभी-कभी ही जब भी वे चाहेंगे तभी कुछ न कुछ लिखवा लेंगे, अपनी स्वतंत्र इच्छा से कुछ भी नहीं लिख पाऊँगा|
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मेरा फेसबुक पर बस यही एक ही खाता है, दूसरा कोई खाता नहीं है, दूसरा खाता कभी खोलूँगा भी नहीं| एक ब्लॉग भी है| मुझे धर्म के नाम पर, और लोक-व्यवहार में सामाजिक और आर्थिक रूप से कुछ लोगों ने ठगा भी बहुत ही अधिक और बहुत ही बुरी तरह है| उनके प्रति भी मेरे मन में कोई दुर्भावना नहीं है| भगवान से प्रार्थना करता हूँ कि कोई भी अन्य व्यक्ति, किसी भी तरह की ठगी का शिकार न हो|
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अब बचा-खुचा जो भी जीवन है, वह भगवान के ध्यान में ही व्यतीत होगा| आध्यात्मिक दृष्टि से मुझे किसी भी तरह का कण मात्र भी कोई संशय, शंका, संदेह या भ्रम नहीं है| भगवान की पूर्ण कृपा है| आध्यात्म में कोई भी रहस्य अब रहस्य नहीं रहा है| पूर्व जन्मों के गुरु, सूक्ष्म जगत से मेरा मार्गदर्शन कर रहे हैं| सब से बड़ी बात तो यह है की मुझे आध्यात्मिक रूप से स्वयं भगवान का आशीर्वाद प्राप्त है|
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आप सब निजात्मगण, भगवान की सर्वश्रेष्ठ अभिव्यक्ति, और महान आत्मायें हैं| आप सब को मेरा विनम्र नमन| अंतिम बात यही कहना चाहूँगा कि भगवान से प्रेम करें, और जितना अधिक हो सके उतना पूर्ण प्रेम करें| किसी भी तरह की आकांक्षा न हो| आकांक्षा और अपेक्षा ... पतन का कारण हैं, और अभीप्सा व परमप्रेम ... उन्नति का आरंभ है|
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ॐ तत्सत् ! ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२९ अक्तूबर २०२०

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