ईश्वर की प्राप्ति के लिए --
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(१) एक श्रौत्रीय (जिसे श्रुतियों यानि वेदों का ज्ञान है), ब्रह्मनिष्ठ आचार्य से मार्गदर्शन लेना परम आवश्यक है। यह श्रुति भगवती का आदेश है।
(२) गीता में भगवान श्रीकृष्ण के अनुसार अनन्य अव्यभिचारिणी भक्ति, अनन्य योग, वीतरागता, स्थितप्रज्ञता, और पूर्ण समर्पण भी आवश्यक है।
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