सनातन-धर्म -- जिन सत्य सनातन सिद्धांतों पर टिका है, जैसे - आत्मा की शाश्वतता, माया, कर्मफल, पुनर्जन्म, आध्यात्म और भगवत्-प्राप्ति, -- इन्हें कोई नष्ट नहीं कर सकता। ये सनातन सत्य हैं, और इस सृष्टि और प्रकृति के धर्म हैं। रामायण और महाभारत में इसे बहुत अच्छी तरह समझाया गया है। धर्म-शिक्षा के अभाव में हम इसे नहीं जानते।
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सूर्योदय होते ही भगवान भुवन-भास्कर के समझ कोई अंधकार नहीं टिकता। वैसे ही हम स्वयं में आत्म-ज्योति को प्रज्ज्वलित करेंगे तो हमारे अंतर में व्याप्त असत्य का अंधकार तत्क्षण दूर हो जायेगा।
आध्यात्म में इधर-उधर की मन बहलाने वाली बातों से काम नहीं बनेगा, उन में भटकाव ही भटकाव है। सीधी सी बात है --
(१) जब तक हम अपने --- मन, बुद्धि और अहंकार पर विजय नहीं पाते तब तक कोई प्रगति नहीं हो सकती।
(२) इन पर विजय के बाद --- जीव भाव से ऊपर उठ कर स्वयं को परमात्मा में दृढ़ता से स्थित करना पड़ेगा।
जहाँ तक मैं जानता हूँ, अन्य कोई मार्ग नहीं है। भटकाव में कुछ नहीं रखा है।
आप सब को नमन !! ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
२७ अप्रेल २०२१
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