Saturday, 29 October 2016

सनातन हिन्दू धर्म क़ा प्राण है परमात्मा के प्रति अहैतुकी पूर्ण परम प्रेम, समर्पण और ध्यान साधना .....

सनातन हिन्दू धर्म क़ा प्राण है ..... परमात्मा के प्रति अहैतुकी पूर्ण परम प्रेम, समर्पण और ध्यान साधना .....
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इस बात की चर्चा बहुत कम होती है कि सनातन हिन्दू धर्म की ऐसी कौन सी विशेषता और शक्ति है जिसने अत्यधिक भयावह क्रूरतम मर्मान्तक प्रहारों के पश्चात भी इसे कालजयी और अमर बना रखा है| मनीषीगण इसे समझते भी हैं| अधिकाँश लोग कर्मकांड को ही हिन्दू धर्म समझते हैं जो सत्य नहीं है| कर्मकांड तो मात्र एक व्यवस्था है जिसमें समय समय पर परिवर्तन होते रहे हैं, पर यह धर्म का मूल बिंदु नहीं है|
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सनातन हिन्दू धर्म क़ा प्राण है ..... परमात्मा के प्रति अहैतुकी परम प्रेम, पूर्ण समर्पण और ध्यान साधना| जब तक हिन्दुओं में दस लोग भी ऐसे हैं जो भगवान से जुड़े हुए हैं तब तक भारत व सनातन हिन्दू धर्म का नाश नहीं हो सकता| यही सनातन धर्म का सार है| यही भारत की अस्मिता है| भारत का उद्धार और विस्तार भी ऐसे महापुरुष ही करेंगे जो भगवान को पूर्णरूपेण समर्पित हैं|
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घोर वन की भयावहता में रात्रि के अन्धकार में सिंहनी जब दहाड़ मारती है तब सारा वन काँप उठता है और सारे पशु भयभीत होकर भागने लगते हैं| उस समय सिंहनी के पास खडा सिंहशावक क्या भयभीत होता है? उसे अपनी माता के प्रेम पर भरोसा है और माँ से प्रेम है| भगवान हमारी माता भी हैं| वे जब हैं तो भय कैसा? वे तो सब प्रकार के भयों से हमारी रक्षा करते हैं|
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भारत का सबसे बड़ा अहित किया है अधर्मसापेक्ष यानि धर्मनिरपेक्ष अधर्मी सेकुलरवाद, मार्क्सवाद और मैकाले की शिक्षा व्यवस्था ने| विडम्बना है कि आधुनिक भारत के अनेक साहित्यकारों ने धर्मनिरपेक्षता (अधर्मसापेक्षता) और मार्क्सवाद को बढ़ावा दिया है जिसका दुष्प्रभाव समाज पर पड़ा है, जिसके कारण समाज में धर्म का ह्रास और ग्लानि भी हुई है| समाज में चरित्रहीनता अधर्मसापेक्षता (धर्मनिरपेक्षता) के कारण ही है|
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भारत की अस्मिता हमारे धर्म, संस्कृति व आदर्शों (भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण) पर गर्व हम में हो| हमारे जीवन का केंद्रबिंदु परमात्मा हों और हम उन्हें शरणागति द्वारा समर्पित हों ..... यही सर्वश्रेष्ठ कार्य है जिसे हम इस जीवन में कर सकते हैं|
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ॐ तत्सत | ॐ नमः शिवाय ! ॐ ॐ ॐ !!

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