Saturday, 29 October 2016

ध्यान किसका करें ?

***** ध्यान किसका करें ? *****
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ध्यान उसी का करना चाहिए जिसका न तो कभी जन्म हुआ है और न कभी मृत्यु होगी| वह कौन और क्या है जिसने न तो कभी जन्म लिया है, और न कभी मृत्यु को प्राप्त होगा? .....
जिसने जन्म लिया है उसकी मृत्यु तो अवश्य ही होगी|
पर जिसने कभी जन्म ही नहीं लिया, क्या वह मृत्यु को प्राप्त कर सकता है?
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हमारा अजन्मा स्वरुप क्या है जो कभी जन्म ही नहीं लेता?
जो अनादि और अनंत है, जिसने कभी जन्म ही नहीं लिया, हमारा वह अजन्मा स्वरुप, शुद्ध अजन्मा भाव क्या है?
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वह शिव भाव है|
सर्वव्यापी भगवान परम शिव में परम प्रेममय हो कर पूर्ण समर्पण करना ही उच्चतम साधना है|
वही मुक्ति है, और वही लक्ष्य है|
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अपने विचारों के प्रति सतत् सचेत रहिये| जैसा हम सोचते हैं वैसे ही बन जाते हैं|
हमारे विचार ही हमारे "कर्म" हैं, जिनका फल भोगना ही पड़ता है|
मन की हर इच्छा, हर कामना एक कर्म या क्रिया है जिसकी प्रतिक्रया अवश्य होती है| यही कर्मफल का नियम है|
अतः हम स्वयं को मुक्त करें ..... सब कामनाओं से, सब संकल्पों से, सब विचारों से, और निरंतर शिव भाव में रहें|
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परमात्मा से अहैतुकी परम प्रेम, परमात्मा को पाने की अभीप्सा और तड़प, परमात्मा के प्रति पूर्ण समर्पण व त्याग, समष्टि के कल्याण की कामना व प्रार्थना, और कुछ भी नहीं|
ॐ तत्सत् ! ॐ शिव ! ॐ ॐ ॐ !!

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