Saturday, 29 October 2016

पाप क्या है और पापी कौन है ? .....

पाप क्या है और पापी कौन है ? ......
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अपने आत्म-तत्व की विस्मृति ही सबसे बड़ा पाप है|
अपने आप को पापी कहना भी पाप है| ह्रदय में तो साक्षात भगवान नारायण बैठे हैं| सत्य ज्ञान अनंत परम ब्रह्म सच्चिदानंद का चैतन्य हमारे ह्रदय में प्रकाशित है| वैश्वानर के रूप में वे हमारे उदर में भी विराजित हैं| स्वयं को पापी कहना क्या परमात्मा को गाली देना नहीं हो गया?
उस आत्म-तत्व का अनुसंधान और उसमें स्थिति ही सबसे बड़ी साधना है|

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