आप में कूटस्थ ज्योतिर्मय ब्रह्म का आलोक ही बाहर के तिमिर का नाश कर सकता
है | आप अपने सर्वव्यापी शिवरूप में स्थित हो सम्पूर्ण समष्टि का कल्याण
करने अवतरित हुए हो | आप सामान्य मनुष्य नहीं, परमात्मा की अमृतमय
अभिव्यक्ति हो, साक्षात शिव परमब्रह्म हो | जिस पर भी आपकी दृष्टि पड़े वह
तत्क्षण परम प्रेममय हो निहाल हो जाए | जो आपको देखे वह भी तत्क्षण धन्य हो
जाए |
भगवान कहीं आसमान से नहीं उतरने वाले, अपने स्वयं के अन्तर में उन्हें जागृत करना होगा |
सब का कल्याण हो |
.
ॐ नमः शिवाय | ॐ ॐ ॐ ||
भगवान कहीं आसमान से नहीं उतरने वाले, अपने स्वयं के अन्तर में उन्हें जागृत करना होगा |
सब का कल्याण हो |
.
ॐ नमः शिवाय | ॐ ॐ ॐ ||
No comments:
Post a Comment