ॐ ॐ ॐ || ॐ ॐ ॐ || ॐ ॐ ॐ || ॐ ॐ ॐ ||
ॐकार का मानसिक जाप ऐसे करो जैसे आप किसी झरने के मध्य में हो| निरंतर आ रही सबसे तेज ध्वनि को सुनते रहो और ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ का मानसिक जाप करते रहो| वह ध्वनि तेल धारा के सामान अविछिन्न हो|
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भूल जाओ की आप यह देह हो| आप सर्वव्यापी आत्मा हो| सारी अनंतता और पूर्णता आप स्वयं ही हो| अपने अस्तित्व का लय उस ध्वनी में ही कर दो|
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जिस तरह से झरने का जल ऊपर से नीचे निरंतर प्रवाहित हो रहा है वैसे ही आशुतोष भगवान परमशिव दक्षिणामूर्ति की कृपा आप के सहस्त्रार चक्र पर पूरे ब्रह्मांड से एकत्र होकर बरस रही है|
ॐ नमः शिवाय |
ॐ ॐ ॐ ||
ॐकार का मानसिक जाप ऐसे करो जैसे आप किसी झरने के मध्य में हो| निरंतर आ रही सबसे तेज ध्वनि को सुनते रहो और ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ का मानसिक जाप करते रहो| वह ध्वनि तेल धारा के सामान अविछिन्न हो|
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भूल जाओ की आप यह देह हो| आप सर्वव्यापी आत्मा हो| सारी अनंतता और पूर्णता आप स्वयं ही हो| अपने अस्तित्व का लय उस ध्वनी में ही कर दो|
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जिस तरह से झरने का जल ऊपर से नीचे निरंतर प्रवाहित हो रहा है वैसे ही आशुतोष भगवान परमशिव दक्षिणामूर्ति की कृपा आप के सहस्त्रार चक्र पर पूरे ब्रह्मांड से एकत्र होकर बरस रही है|
ॐ नमः शिवाय |
ॐ ॐ ॐ ||
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