Monday 26 June 2017

"काम वासना" ही "शैतान" है .....

"काम वासना" ही "शैतान" है .....
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"शैतान" शब्द के अर्थ का जितना अनर्थ किया गया है सम्भवतः उतना अन्य किसी भी शब्द का नहीं| शैतान का अर्थ लोग लगाते हैं कि वह कोई राक्षस या बाहरी शक्ति है पर यह सत्य नहीं है| शैतान कोई बाहरी शक्ति नहीं अपितु मनुष्य के भीतर की कामवासना ही है जो कभी तृप्त नहीं होती और अतृप्त रहने पर क्रोध को जन्म देती है| क्रोध बुद्धि का विनाश कर देता है और मनुष्य का पतन हो जाता है| यही मनुष्य की सबसे बड़ी शत्रु है|
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मूल ईसाईयत आदि मजहबों में इसे Devil या Satan कहा गया| उनके अनुसार भगवान सही रास्ते पर ले जाता है पर शैतान गलत रास्ते पर भटका देता है| पर वास्तव में यह काम वासना ही है जो शैतान है|
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इससे बचने का एक ही मार्ग है और वह है साधना द्वारा स्वयं को देह की चेतना से पृथक करना|
यह अति गंभीर विषय है जिसे प्रभुकृपा से ही समझा जा सकता है|
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स्वयं के सही स्वरुप का अनुसंधान और दैवीय शक्तियों का विकास हमें करना ही पड़ेगा जिसमें कोई प्रमाद ना हो| यह प्रमाद ही मृत्यु है जो हमें इस शैतान के शिकंजे में फँसा देता है|
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ॐ तत्सत् | ॐ नमः शिवाय | ॐ नमः शिवाय | ॐ नमः शिवाय | ॐ ॐ ॐ ||


कृपा शंकर
२६ जून २०१६

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