Wednesday, 26 April 2017

देश खनन माफियाओं के चंगुल में है .....

April 23, 2013.

ॐ श्री गुरवे नमः| आज मैं साधन क्रमों पर चर्चा करने वाला था पर उसके स्थान पर अपनी ही व्यथा व्यक्त करने जा रहा हूँ| अपने सामने इतना अन्याय देख रहा हूँ कि इस समाज से विरक्ति हो गयी है| इच्छा यही हो रही है कि विरक्त होकर सांसारिक चेतना से ऊपर उठ जाऊं और स्थाई रूप से एकांतवास करूं व इस समाज और इसकी चेतना से पृथक ही रहूँ|
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सारा देश इस समय खनन माफियाओं के चंगुल में है| हर जिले में पटवारी से जिलाधीश तक, और सिपाही से पुलिस अधीक्षक तक, और सारे मंत्रीगण खनन माफियाओं के बंधुआ मजदूर है| देश की बहुमूल्य खनिज संपदा की लूट हो रही है| और जो भी इन माफियाओं के मार्ग में आता है उसका अंत कर दिया जाता है|
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स्वतन्त्रता संग्राम में हमारे क्षेत्र में स्वतंत्रता सेनानियों के शिरोमणि थे --- पचेरी ग्राम के पं.ताड़केश्वर शर्मा| अंगरेज़ सरकार ने उनके पूरे परिवार को सगे सम्बन्धियों, महिलाओं और बच्चों सहित जेल में डाल रखा था| उनका घर, खेत और सारी सम्पति जब्त कर ली थी| तथाकथित आज़ादी के बाद उनके परिवार के जीवित बचे छ: सदस्यों को राष्ट्रपति ने सम्मानित भी किया था|
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उनके पौत्र पं.प्रदीप शर्मा पर्यावरण प्रेमी होने के कारण और परोपकार हेतु खनिज माफियों के विरुद्ध संघर्षरत थे| दो माह पूर्व उनके परिवार के अनुसार पुलिस की मिलीभगत से चुनौती देकर भोजन करते समय घर से बाहर बुलाकर उनकी ह्त्या कर दी गयी और लाश को एक-डेढ़ फुट गहरे नाले में फेंक दिया गया| उनकी मृत्यु का समाचार सुनकर आसपास के गाँवों से हजारों लोग एकत्र हो गए व जिले के कई प्रतिष्ठित लोग भी आ गए तब प्रशासन ने पूर्ण आश्वासन दिया था कि मामले की निष्पक्ष जांच होगी| उनके शरीर पर और गले पर चोट के निशान भी थे|
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अब सरकार यह सिद्ध करने पर अड़ी हुई है कि पं.प्रदीप शर्मा ने पानी में डूब कर आत्म-हत्या की है| सरकारी पोस्ट मार्टम रिपोर्ट में भी दम घुटने से मौत दिखाई गई है और शरीर पर चोटों के निशान नहीं होना बताया है| उनके गाँव पचेरी में अभी तक आन्दोलन चल रहा है| सारे गाँव के लोग पाबन्द किए गए हैं| आस पास के गाँवों में पूर्ण बंद रहा है और प्रशासन ने जन आन्दोलन को कुचलने की पूर्ण चेष्टा की है| पं.प्रदीप शर्मा के घर का ताला तोड़कर उनका चलभाष और अन्य साक्ष्य चोरी किये गए| जाँच के नाम पर सारे साक्ष्यों को मिटाया गया है| क्या इतने जीवट का व्यक्ति जो खनन माफियाओं के विरुद्ध संघर्ष कर रहा था एक फुट गहरे पानी में डूब कर आत्म-ह्त्या करेगा?
क्या कोई एक फुट गहरे पानी में डूब कर आत्म-हत्या कर सकता है?
दो महीने बीत जाने पर भी किसी नामजद को गिरफ्तार नहीं किया गया है| CBI से जाँच की मांग नहीं मानी जा रही है| यदि CBI से जाँच हो तो पूरी सरकार बेनकाब हो जायेगी| पर सीबीआई भी तो सरकार से ही आदेश लेगी|
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कल जिला मुख्यालय पर एक बहुत बड़ा धरना दिया गया जिसमे अनेक पूर्व वरिष्ठ पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी, प्रसिद्ध डॉक्टर, प्रबुद्धजन, शिक्षाविद और मातृशक्ति थी| सबने इस घटना की निंदा की| ज्ञापन लेने के लिए कोई अधिकारी उपलब्ध नहीं था| अब उस महान स्वतंत्रता सेनानी के परवार के सदस्यों ने निर्णय लिया है की वे अपने सम्मान लौटा देंगे और आमरण अनशन करेंगे|
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जब एक प्रसिद्ध स्वतन्त्रता सेनानी का परिवार इन खनन माफियाओं से सुरक्षित नहीं है तो एक सामान्य जन का क्या हाल होगा?
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और भी अनेक बातें हैं जो पीड़ित करती हैं| इसमें दोष बुरे लोगों का नहीं है| दोष तो हमारा ही है हम निर्बल और संवेदन हीन बन गए हैं|
दुनिया को खतरा बुरे लोगों की ताकत से नहीं है बल्कि अच्छों की दुर्बलता के कारण है|
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वर्त्तमान में Democracy (लोकतंत्र) समाप्त होकर Plutocracy (धनी व कुटिल लोगों का राज्यतंत्र) रह गयी है| वर्त्तमान लोकतंत्रीय व्यवस्था काले विषधर उगल रही है और हम उन्हें दूध पिला रहे हैं| आज की राजनीति आत्मा पर लात मार रही है और हम वफादारी के साथ अपनी दुम हिला रहे हैं|
हम सत्य को कहने से डर रहे हैं|
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अधिक से अधिक 50 या 60 प्रतिशत मतदान होता है फिर ये मत अनेक प्रत्याशियों में बँट जाते हैं| मात्र 20-25 मत प्राप्त करने वाला व्यक्ति जनप्रतिनिधी बन जाता है|
वोट बेंक की राजनीति, जातिवाद, साम्प्रदायिकता की भावना भड़का कर, पैसे शराब आदि बाँट कर 15 से 20 प्रतिशत वोट प्राप्त कर लेने वाले की जीत पक्की है| सारे माफिया इसी तरीके से सत्ता में आते हैं|
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हमारे मन में लाचारी का भाव की मैं अकेला क्या कर सकता हूँ, मेरी कौन सुनेगा आदि के कारण ही यह democracy बदल कर plutocracy हो गई है| मैं सभी पाठकों से निवेदन करता हूँ की हम सब यह संकल्प करें की अगले चुनावों में शत-प्रतिशत मतदान के लक्ष्य को प्राप्त करें| समाज के जिस पात्र भाई बहिन का नाम मतदाता सूचि में नहीं है वे अपना नाम जुड़ायें| मतदान वाले दिन सूर्य उदय होते ही एक धार्मिक कर्तव्य मानकर मतदान देने पहुँच जाएँ| अन्यथा यही अन्याय और माफिया राज्य सहने के लिए तैयार रहें| सोचें, विचारें और सक्रियता से आगे बढ़ें अन्यथा पांचाली के चीर हरण में जो चुप रहेंगे उन्हें भावी पीढी कभी क्षमा नहीं करेगी|
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शुभ कामनाएँ| जय जननी जय भारत|
२३ अप्रेल, २०१३.

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