Monday 3 January 2022

संसार रूपी पाठशाला ---

 

संसार रूपी पाठशाला ---
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यह संसार एक पाठशाला है जहाँ सब एक पाठ पढ़ने के लिए आते हैं। वह पाठ निरंतर पढ़ाया जा रहा है। जो उसे नहीं सीखते वे दुःख और कष्टों द्वारा उसे सीखने के लिए बाध्य कर दिए जाते हैं। संसार में दुःख और कष्ट आते हैं, उनका एक ही उद्देश्य है -- मनुष्य को सन्मार्ग पर चलने को बाध्य करना। या तो अभी या फिर तीन-चार जन्मों के पश्चात। तब तक कई जन्म व्यर्थ चले जाते हैं।
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हर निष्ठावान व्यक्ति के समक्ष दो मार्गों में से अनिवार्य रूप से एक मार्ग चुनने का विकल्प अवश्य आता है, जहाँ तटस्थ नहीं रह सकते। एक तो ऊर्ध्वगामी मार्ग है, जो सीधा परमात्मा की ओर जाता है, दूसरा अधोगामी मार्ग है जो सांसारिक भोग विलास की ओर जाता है। अति तीव्र आकर्षण वाला यह अधोगामी मार्ग विष मिले हुए शहद की तरह है जो स्वाद में तो बहुत मीठा है पर अंततः कष्टमय और दुःखदायी है। इस अधोगामी आकर्षण को ही इब्राहिमी मज़हबों (यहूदीयत, ईसाईयत और इस्लाम) ने "शैतान" का नाम दिया है। "शैतान" कोई व्यक्ति नहीं, बल्कि वासनाओं के प्रति वह अधोगामी आकर्षण ही है जिसे हम माया भी कह सकते हैं। इस माया की ओर आकर्षित होने वाले को तीन-चार कष्टमय जन्म व्यतीत हो जाने के पश्चात ही होश आता है, और उसे वह विकल्प फिर मिलता है।
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वह मार्गदर्शन सभी को मिलता है। कोई यदि यह कहे कि उसे कभी भी कोई मार्गदर्शन नहीं मिला है तो वह असत्य बोल रहा है।
सभी का कल्याण हो। ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
३० दिसंबर २०२१

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