Monday 3 January 2022

योगारूढ़ कौन है? --- .

 

योगारूढ़ कौन है? ---
.
मेरी अनुभवजन्य निजी मान्यता है कि पूर्ण भगवत्-प्रेम के साथ जिसकी चेतना निरंतर आज्ञाचक्र से ऊपर सहस्त्रार में रहती है, ऐसा व्यक्ति ही योगारूढ़ हो सकता है। वह व्यक्ति प्रणम्य है, उसे प्रणाम करना चाहिए। गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं --
"यदा हि नेन्द्रियार्थेषु न कर्मस्वनुषज्जते।
सर्वसङ्कल्पसंन्यासी योगारूढस्तदोच्यते॥६:४॥"
अर्थात् -- " जिस समय न इन्द्रियों के भोगों में तथा न कर्मों में ही आसक्त होता है, उस समय वह सम्पूर्ण संकल्पों का त्यागी मनुष्य योगारूढ़ कहा जाता है।"
.
संकल्पों का त्याग सिर्फ इच्छा शक्ति से नहीं हो सकता। अजपा-जप का अभ्यास, और उनके द्वारा गीता में बताई हुई साधनाएं करते रहो। भगवान श्रीकृष्ण सब गुरुओं के गुरु हैं। उन से बड़ा गुरु कोई अन्य नहीं है। हर सांस पर उनका स्मरण करो। उन्हें निरंतर अपने हृदय में रखो। जिस दिन उन की कृपा होगी, सारा ज्ञान अपने आप ही प्राप्त हो जाएगा, और सारी साधनाएं भी अपने आप ही होने लगेंगी, और सिद्ध भी हो जायेंगी। आवश्यकता सिर्फ परमप्रेम और अभीप्सा की है।
ॐ तत्सत् !!
३० दिसंबर २०२१

No comments:

Post a Comment