Monday, 3 January 2022

भगवत्-प्राप्ति ही हमारा स्वधर्म, और सनातन धर्म का सार है ---

 

भगवत्-प्राप्ति ही हमारा स्वधर्म, और सनातन धर्म का सार है। भारत को सबसे बड़ा खतरा अधर्मियों से है। आज के दिन भारत और सनातन धर्म की रक्षा के लिए अधिकाधिक साधना करें।
दूसरे दिनों में भी रात्री के सन्नाटे में जब घर के सब लोग सोए हुए हों तब चुपचाप शांति से भगवान का ध्यान/जप आदि करें। न तो किसी को बताएँ और न किसी से इस बारे में कोई चर्चा करें। निश्चित रूप से आपको परमात्मा की अनुभूति होगी। किसी भी तरह के वाद-विवाद आदि में न पड़ें। हमारा लक्ष्य वाद-विवाद नहीं, परमात्मा की प्राप्ति है। भगवान का ध्यान हमें चिन्ता मुक्त कर देता है| तत्पश्चात हम केवल निमित्त मात्र बन जाते हैं| हमारे माध्यम से भगवान ही सारे कार्य करते हैं।
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भारतवर्ष में मनुष्य देह में जन्म लेकर भी यदि कोई भगवान की भक्ति ना करे तो वह अभागा है| भगवान के प्रति परम प्रेम, समर्पण और समष्टि के कल्याण की अवधारणा सिर्फ भारत की ही देन है| सनातन धर्म का आधार भी यही है|
पहले निज जीवन में परमात्मा को व्यक्त करो, फिर जीवन के सारे कार्य श्रेष्ठतम ही होंगे| परमात्मा को पूर्ण ह्रदय से प्रेम करो, फिर सब कुछ प्राप्त हो जाएगा|
कृपा शंकर
२४ दिसंबर २०२१

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