"मनोजवं मारुततुल्यवेगमं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये॥"
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रामरक्षास्तोत्र से लिए हुए उपरोक्त मंत्र से ध्यान आरंभ करें। यह हनुमान जी का ध्यान मंत्र है, जो बहुत ही अधिक शक्तिशाली है। इसके ध्यान से बहुत गोपनीय अनुभूतियाँ होंगी, जिन्हें गोपनीय ही रखें। इसकी सफलता हमारी श्रद्धा और विश्वास पर निर्भर है। इस की विधि हनुमान जी की कृपा से समझ में आ जाएगी। इसका भावार्थ है ---
"जिनकी मन के समान गति और वायु के समान वेग है, जो परम जितेन्दिय और बुद्धिमानों में श्रेष्ठ हैं, उन पवनपुत्र वानरों में प्रमुख श्रीरामदूत की मैं शरण लेता हूँ।"
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हे संकटमोचन पवनकुमार ! आप आनंद मंगलों के स्वरूप हैं। आप की जय हो॥
ॐ तत्सत् !!
२८ दिसंबर २०२१
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