Monday, 3 January 2022

भगवान को कौन प्राप्त कर सकता है? ---

 

भगवान को कौन प्राप्त कर सकता है? ---
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जो लोग भगवान की बातें तो बड़ी बड़ी करते हैं, लेकिन जिनके आचरण में भगवान कहीं भी नहीं होते, ऐसे कालनेमी लोगों से विष की तरह दूर रहें। ऐसे लोग बड़े खतरनाक छली होते हैं, जो स्वयं तो नर्कगामी होते ही हैं, दूसरों को भी नर्क में ले जाते हैं। भगवान को कौन प्राप्त कर सकता है? इस पर गीता में भगवान कहते हैं ---
"निर्मानमोहा जितसङ्गदोषा अध्यात्मनित्या विनिवृत्तकामाः।
द्वन्द्वैर्विमुक्ताः सुखदुःखसंज्ञैर्गच्छन्त्यमूढाः पदमव्ययं तत्॥१५:५॥"
अर्थात् -- जिनका मान और मोह निवृत्त हो गया है, जिन्होंने संगदोष को जीत लिया है, जो अध्यात्म में स्थित हैं जिनकी कामनाएं निवृत्त हो चुकी हैं और जो सुख-दु:ख नामक द्वन्द्वों से विमुक्त हो गये हैं, ऐसे सम्मोह रहित ज्ञानीजन उस अव्यय पद को प्राप्त होते हैं॥
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जो मान-मोह से मुक्त हैं, जिनका अभिमान और अज्ञान नष्ट हो गया है, जिन्होंने आसक्तिरूप दोष को जीत लिया है, जो नित्य अध्यात्म विचार में लगे हुए हैं। जो कामना से रहित हैं, जो सुख-दुःख नामक प्रिय और अप्रिय आदि द्वन्द्वों से छूटे हुए हैं, वे मोहरहित ज्ञानी उपर्युक्त अविनाशी पदको पाते हैं।
इसलिए बिना किसी का आचरण देखे, उसकी बातों से प्रभावित न हों।
ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
८ दिसंबर २०२१

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