वास्तविक स्वतंत्रता दिवस तो आज ही है ---
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भारत के प्रथम प्रधानमंत्री नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने २१ अक्तूबर १९४३ को 'आजाद हिन्द फौज' के सर्वोच्च सेनापति के नाते स्वतन्त्र भारत की प्रथम सरकार बनायी थी जिसे आठ देशों ... जर्मनी, जापान, फिलीपीन्स, कोरिया, चीन, इटली, मान्चुरिया और आयरलैंड ने मान्यता प्रदान की थी।
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जापान ने अंडमान व निकोबार द्वीप समूह इस अस्थायी सरकार को दे दिये थे। सुभाष बोस उन द्वीपों में गये और उनका नया नामकरण किया। अंडमान का नया नाम शहीद द्वीप तथा निकोबार का स्वराज्य द्वीप रखा गया। ३० दिसंबर १९४३ को पोर्ट ब्लेयर के जिमखाना मैदान में पर स्वतन्त्र भारत का ध्वज भी फहरा दिया गया था।
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एक षडयंत्र द्वारा उन्हें देश से भगा दिया गया। आज़ाद हिन्द फौज के १६ हजार से अधिक सैनिक देश की स्वतन्त्रता के लिए लड़ते हुए मरे थे, जिन्हें मरणोपरांत सम्मान नहीं मिला। आजाद हिन्द के फौज के जीवित बचे सैनिकों को सेना में बापस नहीं लिया गया, और उन्हें वेतन और सेवानिवृति का कोई लाभ भी नहीं मिला।
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१५ अगस्त १९४७ तो भारत का विभाजन दिवस था, जिसमें लगभग ३० लाख लोगों की हत्या हुई, हजारों महिलाओं का बलात्कार हुआ, हजारों बच्चों और महिलाओं का अपहरण हुआ, और करोड़ों लोग विस्थापित हुए। इतनी कम अवधि में इतना भयानक नर-संहार विश्व के इतिहास में अन्यत्र कहीं भी नहीं हुआ। इस दिन लाशों से भरी हुई कई रेलगाडियाँ विभाजित भारत यानि पाकिस्तान से आयीं जिन पर खून से लिखा था -- "Gift to India from Pakistan."
१९७६ में छपी पुस्तक Freedom at midnight में उनके चित्र दिये दिये हुए थे। वह कलंक का दिन भारत का स्वतन्त्रता दिवस नहीं हो सकता। यह कैसा स्वतन्त्रता दिवस था जिसमें भारत माता की दोनों भुजाएँ और आधा सिर काट दिया गया। जवाहर लाल नेहरू तो भारत का अंग्रेजों द्वारा कूटनीति से बनाया गया दूसरा प्रधानमंत्री था।
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तेरा गौरव अमर रहे माँ हम दिन चार रहें न रहें| भारत माता की जय !
वन्दे मातरं ! जय हिन्द !
कृपा शंकर
२१ अक्तूबर २०२१
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