Wednesday, 20 October 2021

हमारा चरित्र, श्वेत कमल की भाँति इतना उज्जवल हो, जिसमें कोई धब्बा ना हो ---

 

हमारा चरित्र, श्वेत कमल की भाँति इतना उज्जवल हो, जिसमें कोई धब्बा ना हो। हमारे आदर्श और हमारा चिंतन उच्चतम हो। यह तभी संभव है जब हम भगवान के प्रति समर्पित हों। जिस क्षण हमें भगवान की याद आती है, वह क्षण बहुत अधिक शुभ होता है। उस क्षण कोई देश-काल या शौच-अशौच का बंधन नहीं होता। भगवान से एक क्षण का वियोग भी मृत्यु-तुल्य है। भगवान के लिये एक बेचैनी, तड़प और घनीभूत प्यास बनाए रखें।
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कीटक नाम का एक साधारण सा कीड़ा भँवरे से डर कर कमल के फूल में छिप जाता है| भँवरे का ध्यान करते करते वह स्वयं भी भँवरा बन जाता है। वैसे ही हम भी निरंतर भगवान का ध्यान करते करते उन के साथ एक हो जाते हैं।
भगवान की सर्वश्रेष्ठ अभिव्यक्ति आप सब को नमन !!
कृपा शंकर
१८ अक्तूबर २०२०

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