Wednesday, 20 October 2021

याद रखो कि जाना कहाँ है ---

याद रखो कि जाना कहाँ है ---
.
जो कल करना है सो आज करो, और जो आज करना है वह अभी करो। शुभ काम में देरी ना करो। सर्वाधिक शुभ कार्य है -- भक्तिपूर्वक परमात्मा का ध्यान, जिसे आगे पर ना टालें। जो कहते हैं कि अभी हमारा समय नहीं आया है, उनका समय कभी नहीं आएगा।
.
जो कहते हैं कि संसार में उलझे हुए हैं, भगवान के लिए फुर्सत कैसे निकालें? उनके लिए हमारा उत्तर है --
जब हम साइकिल चलाते हैं तब पैडल भी मारते हैं, हेंडल भी पकड़ते हैं, ब्रेक पर अंगुली भी रखते है, सामने भी देखते हैं, और यह भी याद रखते हैं कि कहाँ जाना है। इतने सारे काम एक साथ करने पड़ते हैं, अन्यथा साइकिल नहीं चला पाएंगे। संसार में इस देह रूपी साइकिल को भी चलाओ, लेकिन याद रखो कि जाना कहाँ है।
.
हमारा लक्ष्य परमात्मा है। किसी भी तरह का लोभ, अहंकार व कामना हृदय में न हो, सिर्फ प्रभु को पाने की अभीप्सा हो। "एक साधे सब सधैं, सब साधे सब खोय"।
सारे सांसारिक संबंधों के पीछे स्वार्थ या अहंकार छिपा हुआ है। बेशर्त (Unconditional) प्रेम सम्बन्ध सिर्फ परमात्मा से ही संभव है।
ॐ तत्सत् !!
२१ अक्तूबर २०२१

No comments:

Post a Comment