Wednesday, 20 October 2021

शरद पूर्णिमा पर आप सब का अभिनंदन !! ---

 

शरद पूर्णिमा पर आप सब का अभिनंदन !!
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ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात्री को आठ-नौ वर्ष की आयु के बालक भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों के साथ महारास रचा था। इस के पश्चात तो अध्ययन के लिए उन्हें गुरुकुल भेज दिया गया था।
 
पहले प्रायः सभी हिन्दू मंदिरों में उत्सव मनाया जाता था, भजन-कीर्तन होते थे, और खीर का प्रसाद बाँटा जाता था। शरदपूर्णिमा की चांदनी रात में रखी खीर का ठाकुर जी के भोग लगाकर प्रसाद रूप में सभी ग्रहण करते हैं। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा का चांद सम्पूर्ण १६ कलाओं से युक्त होकर रात भर अमृत की वर्षा करता है। ऐसी भी मान्यता है कि माँ लक्ष्मी इस रात्रि में भ्रमण करती हैं और उन्हें जागरण व आराधना करता हुआ कोई मिलता है तो उस पर अपनी अपार कृपा की वर्षा करती हैं। भारत के कुछ भागों में शरद पूर्णिमा पर हनुमान जी की विशेष आराधना भी होती है। 
 
इस अवसर पर भगवान से मेरी प्रार्थना है कि --
सत्य-सनातन-धर्म की पुनर्प्रतिष्ठा और वैश्वीकरण हो। भारत में छाए असत्य का अंधकार दूर हो। विश्व में धर्मनिष्ठों पर हो रहे अत्याचार बंद हों। गोमाता के बध पर पूर्ण प्रतिबंध हो। भारत एक सत्य-धर्मनिष्ठ अखंड राष्ट्र बने, जहाँ की राजनीति सत्य पर आधारित हो। कैलाश-मानसरोवर तो शीध्रातिशीघ्र भारत का भाग हो।
ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
२० अक्तूबर २०२१

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