हमारा कार्य सिर्फ प्रकाश का विस्तार करना है, अँधकार का नहीं .....
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अन्धेरा पूरी तरह कभी दूर नहीं हो सकता| अन्धेरे का अस्तित्व बना रहेगा, चाहे वह भीतर का हो या बाहर का| एक भक्त ने भगवान से प्रार्थना की कि चारों और छाये इस अज्ञान के अन्धकार को दूर करें| भगवान ने उत्तर दिया कि सृष्टि के आरम्भ से ही अन्धकार का महत्व है, यह सृष्टि अन्धकार और प्रकाश के द्वैत का ही एक खेल है| भक्तों का कार्य परमात्मा के प्रकाश का विस्तार करना है| अन्धकार के बिना यह सृष्टि नहीं चल सकती|
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हम अपनी चेतना में परमात्मा के प्रकाश (ब्रह्मज्योति) का ही ध्यान करें| किसी तरह की हीन भावना न लायें| अपनी चेतना में प्रकाश का विस्तार करेंगे तो निज जीवन में अन्धकार स्वतः ही दूर होगा | जीवन के अन्धकार की स्मृतियों को विस्मृत कर दें| परमात्मा की निरंतर उपस्थिति का सतत अभ्यास करें |
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परमात्मा का प्रकाश ही हमारी दिशा है| दिशाहीन होना ही हमारी दुर्गति का कारण है| महासागर में जलयान, आकाश में वायुयान और अरण्य में कोई पथिक अपनी दिशा से भटक जाए तो उसका विनाश निश्चित है| वैसे ही दिशाहीन समाज, राष्ट्र और व्यक्ति का विनाश निश्चित है| हम सदा परमात्मा की ओर उन्मुख रहें तो कोई हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता|
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
०१ दिसंबर २०१८
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अन्धेरा पूरी तरह कभी दूर नहीं हो सकता| अन्धेरे का अस्तित्व बना रहेगा, चाहे वह भीतर का हो या बाहर का| एक भक्त ने भगवान से प्रार्थना की कि चारों और छाये इस अज्ञान के अन्धकार को दूर करें| भगवान ने उत्तर दिया कि सृष्टि के आरम्भ से ही अन्धकार का महत्व है, यह सृष्टि अन्धकार और प्रकाश के द्वैत का ही एक खेल है| भक्तों का कार्य परमात्मा के प्रकाश का विस्तार करना है| अन्धकार के बिना यह सृष्टि नहीं चल सकती|
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हम अपनी चेतना में परमात्मा के प्रकाश (ब्रह्मज्योति) का ही ध्यान करें| किसी तरह की हीन भावना न लायें| अपनी चेतना में प्रकाश का विस्तार करेंगे तो निज जीवन में अन्धकार स्वतः ही दूर होगा | जीवन के अन्धकार की स्मृतियों को विस्मृत कर दें| परमात्मा की निरंतर उपस्थिति का सतत अभ्यास करें |
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परमात्मा का प्रकाश ही हमारी दिशा है| दिशाहीन होना ही हमारी दुर्गति का कारण है| महासागर में जलयान, आकाश में वायुयान और अरण्य में कोई पथिक अपनी दिशा से भटक जाए तो उसका विनाश निश्चित है| वैसे ही दिशाहीन समाज, राष्ट्र और व्यक्ति का विनाश निश्चित है| हम सदा परमात्मा की ओर उन्मुख रहें तो कोई हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता|
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
०१ दिसंबर २०१८
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