अंडमान का हेवलॉक द्वीप .....
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आज वहाँ आये एक समुद्री चक्रवात के कारण इस द्वीप का नाम बार बार आ रहा है| इस द्वीप पर दो-तीन बार जाने का अवसर मिल चुका है| वहाँ कई बंगाली हिन्दू शरणार्थी परिवार भी बसे हुए हैं जिनमें से एक दो परिवारों से मेरा परिचय भी था| यहाँ के कुछ द्वीपों के अंग्रेजों द्वारा रखे हुए नामों पर मुझे आपत्ति है, विशेषकर नील, हेवलॉक और रोज़ जैसे कुछ द्वीपों के नाम पर| ये नाम उन अँगरेज़ सेना नायकों के नाम हैं जिन्होनें भारत के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम को निर्दयता से कुचला, करोड़ों भारतीयों का नरसंहार किया और झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई की ह्त्या की|
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हेवलॉक द्वीप का नाम अँगरेज़ General Sir Henry Havelock के नाम पर रखा गया है जिनके नेतृत्व में अँगरेज़ सेना ने झाँसी की रानी को भागने को बाध्य किया और उनकी ह्त्या की|
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आज वहाँ आये एक समुद्री चक्रवात के कारण इस द्वीप का नाम बार बार आ रहा है| इस द्वीप पर दो-तीन बार जाने का अवसर मिल चुका है| वहाँ कई बंगाली हिन्दू शरणार्थी परिवार भी बसे हुए हैं जिनमें से एक दो परिवारों से मेरा परिचय भी था| यहाँ के कुछ द्वीपों के अंग्रेजों द्वारा रखे हुए नामों पर मुझे आपत्ति है, विशेषकर नील, हेवलॉक और रोज़ जैसे कुछ द्वीपों के नाम पर| ये नाम उन अँगरेज़ सेना नायकों के नाम हैं जिन्होनें भारत के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम को निर्दयता से कुचला, करोड़ों भारतीयों का नरसंहार किया और झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई की ह्त्या की|
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हेवलॉक द्वीप का नाम अँगरेज़ General Sir Henry Havelock के नाम पर रखा गया है जिनके नेतृत्व में अँगरेज़ सेना ने झाँसी की रानी को भागने को बाध्य किया और उनकी ह्त्या की|
ऐसे ही रोज द्वीप का नाम अँगरेज़ Field Marshal Hugh Henry Rose के नाम पर रखा गया है जो १८५७ के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम को कुचलने के जिम्मेदार थे|
ऐसे ही नील द्वीप का नाम भी अँगरेज़ सेनाधिकारी General James George Smith Neill के नाम पर रखा गया है जिसने लाखों भारतीयों की निर्मम हत्याएँ की|
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और भी ऐसे कई उदाहरण हैं| भारत को स्वतंत्र हुए इतने वर्ष बीत गए पर अभी भी गुलामी के निशान इन द्वीपों के नाम यथावत हैं| नेताजी सुभाष बोस ने अंडमान-निकोबार का नाम बदलकर स्वराज-शहीद द्वीप समूह कर दिया था पर भारत सरकार ने अंग्रेजों के दिए हुए नाम ही यथावत रखे|
कम से कम अब तो हमें ये नाम बदलने चाहिएँ|
जय जननी, जय भारत | ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
७ दिसंबर २०१६
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और भी ऐसे कई उदाहरण हैं| भारत को स्वतंत्र हुए इतने वर्ष बीत गए पर अभी भी गुलामी के निशान इन द्वीपों के नाम यथावत हैं| नेताजी सुभाष बोस ने अंडमान-निकोबार का नाम बदलकर स्वराज-शहीद द्वीप समूह कर दिया था पर भारत सरकार ने अंग्रेजों के दिए हुए नाम ही यथावत रखे|
कम से कम अब तो हमें ये नाम बदलने चाहिएँ|
जय जननी, जय भारत | ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
७ दिसंबर २०१६
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प्रख्यात वैदिक विद्वान् श्री अरुण उपाध्याय द्वारा टिप्पणी :---
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अण्डमान निकोबार द्वीप तो मूल पौराणिक नामों के अपभ्रंश हैं। ब्रह्म पुराण के अनुसार राजा इन्द्रद्युम्न ने जगन्नाथ की पूजा जल प्रलय के बाद पुनः आरम्भ कराई थी। उनके नाम पर गंगा सागर (जिसमें गंगा नदी मिलती है) में इन्द्रद्युम्न द्वीप था जिसका अण्डमान हो गया है। दक्षिण के दो बडे द्वीप कुबेर के जुड़वां पुत्रों नर-कूबर के नाम पर था। कुबेर मुख्यतः लंका के राजा थे जिस पर बाद में रावण ने कब्जा कर लिया था। यह द्वीप समूह लंका के अधीन था।
अंग्रेज राक्षसों ने 1857 के विद्रोह का बदला लेने के लिए व्यापक नर संहार किया था जो विश्व इतिहास में सबसे बडा था। कुल एक करोड से अधिक निर्दोष लोगों की हत्या कर उनके शवों को पेड से लटकाया गया था। दो मास के भीतर इतना बडा नर संहार विश्व इतिहास में नहीं हुआ है। बिहार में कुंवर सिंह के क्षेत्र में आरा और गंगा नदी के बीच मेरे गांव पैगा-बसन्तपुर में 3500 लोगों की हत्या अंग्रेज सेनापति नील ने की थी। 26 अप्रैल 1858 को नेपाली सेना की मदद से यह हुआ। बनारस के निकट गहमर गांव में 5500 व्यक्तियों की हत्या हुई। शाहाबाद तथा इलाहाबाद जिलों में अंग्रेजी शासन के रेकॉर्ड के अनुसार 20-20 लाख लोगों की हत्या इन सम्मानित अंग्रेजों ने की थी। ह्यूरोज ने कानपुर की 3 लाख आबादी के 90% लोगों की हत्या कर उसे पूरा श्मशान बना दिया था। इतने घृणित तथा इतिहास के सबसे क्रूर लोगों के सम्मान में इन द्वीपों का नाम रखने से अधिक लज्जा जनक कुछ नहीं हो सकता।
अंग्रेज राक्षसों ने 1857 के विद्रोह का बदला लेने के लिए व्यापक नर संहार किया था जो विश्व इतिहास में सबसे बडा था। कुल एक करोड से अधिक निर्दोष लोगों की हत्या कर उनके शवों को पेड से लटकाया गया था। दो मास के भीतर इतना बडा नर संहार विश्व इतिहास में नहीं हुआ है। बिहार में कुंवर सिंह के क्षेत्र में आरा और गंगा नदी के बीच मेरे गांव पैगा-बसन्तपुर में 3500 लोगों की हत्या अंग्रेज सेनापति नील ने की थी। 26 अप्रैल 1858 को नेपाली सेना की मदद से यह हुआ। बनारस के निकट गहमर गांव में 5500 व्यक्तियों की हत्या हुई। शाहाबाद तथा इलाहाबाद जिलों में अंग्रेजी शासन के रेकॉर्ड के अनुसार 20-20 लाख लोगों की हत्या इन सम्मानित अंग्रेजों ने की थी। ह्यूरोज ने कानपुर की 3 लाख आबादी के 90% लोगों की हत्या कर उसे पूरा श्मशान बना दिया था। इतने घृणित तथा इतिहास के सबसे क्रूर लोगों के सम्मान में इन द्वीपों का नाम रखने से अधिक लज्जा जनक कुछ नहीं हो सकता।
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