Friday 7 December 2018

राष्ट्र हित सर्वोपरि...

राष्ट्र हित सर्वोपरि...
आज राष्ट्र की स्थिति अत्यधिक विस्फोटक और चिंताजनक है| इस पर मैनें कई मनीषियों के साथ गंभीर चिंतन भी किया है| मेरे विचार यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ .....
जो परिवर्तन लाना है वह तो भगवान ही लायेंगे, मैं तो एक निमित्त मात्र हूँ| आध्यात्मिक उपासना करनी होगी उसके लिए| 
वह कौन करेगा? क्या मुझे ही करनी होगी?
नहीं, मुझे निमित्त बनाकर स्वयं भगवान ही करेंगे|
फिर जो परिवर्तन लाना है वह तो स्वयं सृष्टिकर्ता भगवान ही लायेंगे| स्वयं की उपासना भी वे स्वयं ही करेंगे| मैं तो उनका एक उपकरण मात्र हूँ, मेरा कोई पृथक अस्तित्व नहीं है| मैं सिर्फ समर्पण ही कर सकता हूँ, इसके अतिरिक्त अन्य कुछ भी नहीं|
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
४ दिसंबर २०१८

No comments:

Post a Comment