पूर्णता का ध्यान .....
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ध्यान सदा पूर्णता का ही होता है| मेरे पास सही शब्दों की बहुत कमी है, अतः ठीक से स्वयं को व्यक्त नहीं कर पा रहा हूँ, फिर भी पूरा प्रयास कर रहा हूँ| परमात्मा का जो अखंड मंडलाकार रूप है, वह ही हमारा उपास्य है, जिस में सब कुछ समाहित है, कुछ भी जिस से पृथक नहीं है| पूर्णता का ध्यान करते करते पूर्णता को समर्पित होकर ही हम पूर्ण हो सकते हैं| जिन परब्रह्म परमशिव परमात्मा का कभी जन्म ही नहीं हुआ उन को समर्पित होकर ही हम अमर हो सकते हैं|
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इस संसार में जो कुछ भी हम ढूँढ रहे हैं ..... "सुख", "शांति", "सुरक्षा", "आनंद", "समृद्धि", "वैभव", "यश", और "कीर्ति" ...... वह सब तो हम स्वयं ही हैं| बाहर के विश्व में इन सब की खोज एक मृगतृष्णा मात्र ही है| यह पूर्णता ही परमात्मा है| अपनी अपूर्णता का उस पूर्णता में पूर्ण समर्पण ही उपासना है|
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इस विषय का अधिक ज्ञान किन्हीं श्रौत्रीय ब्रह्मनिष्ठ सिद्ध महात्मा के आशीर्वाद से ही हो सकता है| पात्रता होने पर भगवान स्वयं ही किसी सिद्ध गुरु के रूप में आते हैं|
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ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात्पुर्णमुदच्यते |पूर्णश्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते ॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
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ध्यान सदा पूर्णता का ही होता है| मेरे पास सही शब्दों की बहुत कमी है, अतः ठीक से स्वयं को व्यक्त नहीं कर पा रहा हूँ, फिर भी पूरा प्रयास कर रहा हूँ| परमात्मा का जो अखंड मंडलाकार रूप है, वह ही हमारा उपास्य है, जिस में सब कुछ समाहित है, कुछ भी जिस से पृथक नहीं है| पूर्णता का ध्यान करते करते पूर्णता को समर्पित होकर ही हम पूर्ण हो सकते हैं| जिन परब्रह्म परमशिव परमात्मा का कभी जन्म ही नहीं हुआ उन को समर्पित होकर ही हम अमर हो सकते हैं|
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इस संसार में जो कुछ भी हम ढूँढ रहे हैं ..... "सुख", "शांति", "सुरक्षा", "आनंद", "समृद्धि", "वैभव", "यश", और "कीर्ति" ...... वह सब तो हम स्वयं ही हैं| बाहर के विश्व में इन सब की खोज एक मृगतृष्णा मात्र ही है| यह पूर्णता ही परमात्मा है| अपनी अपूर्णता का उस पूर्णता में पूर्ण समर्पण ही उपासना है|
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इस विषय का अधिक ज्ञान किन्हीं श्रौत्रीय ब्रह्मनिष्ठ सिद्ध महात्मा के आशीर्वाद से ही हो सकता है| पात्रता होने पर भगवान स्वयं ही किसी सिद्ध गुरु के रूप में आते हैं|
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ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात्पुर्णमुदच्यते |पूर्णश्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते ॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
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ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
३० नवम्बर २०१८
ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
३० नवम्बर २०१८
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