इस संसार में हम अपने कर्मफलों को भोगने के लिए आये हैं, साथ साथ नए कर्मों की सृष्टि भी कर रहे हैं| पूर्वजन्मों में मुक्ति के उपाय नहीं किये इसलिए यह जन्म मिला| अपनी कमियों के लिए किसी अन्य पर दोषारोपण न करें| हम जो कुछ भी हैं और जैसी भी परिस्थिति में हैं वह हमारे प्रारब्ध कर्मों का फल यानि भोग है, इसमें किसी अन्य का कोई दोष नहीं है| ये प्रारब्ध कर्म तो भोगने ही पड़ेंगे, इन्हें टाल नहीं सकते| हाँ, भक्ति से पीड़ा कम अवश्य हो जाती है, पर टलती नहीं है| प्रकृति अपना कार्य पूरी ईमानदारी से अपने नियमानुसार करती है जिसमें कोई भेदभाव नहीं है| नियमों को हम नहीं समझते तो इसमें दोष अपना ही है, प्रकृति का नहीं|
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अपने असंतोष और अप्रसन्नता के लिए हम यदि ....
(१) अपने माँ-बाप को दोष देते हैं तो हम गलत हैं| कई लोग कहते हैं कि हम गलत माँ-बाप के घर या गलत परिवार/समाज में पैदा हो गए, इसलिए जीवन में प्रगति नहीं कर पाए|
(२) कई लोग स्वयं को परिस्थितियों का शिकार बताते हैं और कहते हैं गलत परिस्थितियों के कारण जीवन में जो मिलना चाहिए था वह नहीं मिला| यह सोच गलत है|
(३) कई लोग अपनी विफलताओं के लिए दूसरों को दोष देते हैं, यह भी गलत है|
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अपने कर्मफलों को प्रेम से, आनन्द से और भक्ति से भगवान का नाम लेते हुए काटें और अपनी सोच बदल कर अच्छे कर्म करें| हमारी सोच और विचार ही हमारे कर्म हैं| सभी को शुभ कामनाएँ और नमन !
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ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
१ दिसंबर २०१८
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अपने असंतोष और अप्रसन्नता के लिए हम यदि ....
(१) अपने माँ-बाप को दोष देते हैं तो हम गलत हैं| कई लोग कहते हैं कि हम गलत माँ-बाप के घर या गलत परिवार/समाज में पैदा हो गए, इसलिए जीवन में प्रगति नहीं कर पाए|
(२) कई लोग स्वयं को परिस्थितियों का शिकार बताते हैं और कहते हैं गलत परिस्थितियों के कारण जीवन में जो मिलना चाहिए था वह नहीं मिला| यह सोच गलत है|
(३) कई लोग अपनी विफलताओं के लिए दूसरों को दोष देते हैं, यह भी गलत है|
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अपने कर्मफलों को प्रेम से, आनन्द से और भक्ति से भगवान का नाम लेते हुए काटें और अपनी सोच बदल कर अच्छे कर्म करें| हमारी सोच और विचार ही हमारे कर्म हैं| सभी को शुभ कामनाएँ और नमन !
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ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
१ दिसंबर २०१८
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