आज श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया है जिसे हरियाली तीज कहते हैं|
कल सिंधारा दूज थी| सभी मातृशक्ति को मैं इस पावन अवसर पर नमन करता हूँ|
हरियाली तीज मुख्यत: स्त्रियों का त्योहार है|
इस समय जब प्रकृति में चारों ओर हरियाली की चादर सी बिछी हुई है| वन-बिहार करने पर प्रकृति की इस छटा को देखकर मन पुलकित होकर नाचने लगता है| तपती गर्मी से अब जाकर राहत भी मिली है|
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अभी कुछ वर्षों पूर्व तक हमारे यहाँ राजस्थान के हर भाग में खूब झूले लगते थे और स्त्रियों के समूह गीत गा-गाकर झूला झूलते थे| अभी भी कहीं कहीं यह संस्कृति जीवित बची हुई है| झूलों पर पूरा दम लगाकर बालिकाएँ और महिलाऐं खूब ऊँचाई तक जाती हुईं झूला झूलती थीं मानो आसमान को छूने जा रही हों| इसे हमारी मारवाड़ी भाषा में "पील मचकाना" कहते हैं|
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स्त्रियाँ अपने हाथों पर त्योहार विशेष को ध्यान में रखते हुए भिन्न-भिन्न प्रकार की मेहंदी लगाती हैं।|मेहंदी रचे हाथों से जब वह झूले की रस्सी पकड़ कर झूला झूलती हैं तो यह दृश्य बड़ा ही मनोहारी लगता है| जैसे मानसून आने पर मोर नृत्य कर खुशी प्रदर्शित करते हैं, उसी प्रकार महिलाएँ भी बारिश में झूले झूलती हैं, नृत्य करती हैं और खुशियाँ मनाती हैं।
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इस दिन सुहागिन स्त्रियाँ सुहागी पकड़कर सास के पांव छूकर उन्हें देती हैं| यदि सास न हो तो स्वयं से बड़ों को अर्थात जेठानी या किसी वृद्धा को देती हैं|
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हरियाली तीज के दिन अनेक स्थानों पर मेले लगते हैं और माता पार्वती की सवारी बड़े धूमधाम से निकाली जाती है| यह त्योहार महिलाओं के लिए एकत्र होने का एक उत्सव है| नवविवाहित लड़कियों के लिए विवाह के पश्चात पड़ने वाले पहले सावन के त्योहार का विशेष महत्त्व होता है|
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पौराणिक रूप से यह शिव पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है|
तीज के बारे में लोक कथा है कि पार्वतीजी के 108वें जन्म में शिवजी उनकी कठोर तपस्या से प्रसन्न हुए और पार्वतीजी की अपार भक्ति को जानकर उन्हें अपनी पत्नी की तरह स्वीकार किया|
पार्वतीजी का आशीष पाने के लिए महिलाएँ कई रीति-रिवाजों का पालन करती हैं| नवविवाहित महिलाएँ अपने मायके जाकर ये त्योहार मनाती हैं|
हरियाली तीज मुख्यत: स्त्रियों का त्योहार है|
इस समय जब प्रकृति में चारों ओर हरियाली की चादर सी बिछी हुई है| वन-बिहार करने पर प्रकृति की इस छटा को देखकर मन पुलकित होकर नाचने लगता है| तपती गर्मी से अब जाकर राहत भी मिली है|
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अभी कुछ वर्षों पूर्व तक हमारे यहाँ राजस्थान के हर भाग में खूब झूले लगते थे और स्त्रियों के समूह गीत गा-गाकर झूला झूलते थे| अभी भी कहीं कहीं यह संस्कृति जीवित बची हुई है| झूलों पर पूरा दम लगाकर बालिकाएँ और महिलाऐं खूब ऊँचाई तक जाती हुईं झूला झूलती थीं मानो आसमान को छूने जा रही हों| इसे हमारी मारवाड़ी भाषा में "पील मचकाना" कहते हैं|
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स्त्रियाँ अपने हाथों पर त्योहार विशेष को ध्यान में रखते हुए भिन्न-भिन्न प्रकार की मेहंदी लगाती हैं।|मेहंदी रचे हाथों से जब वह झूले की रस्सी पकड़ कर झूला झूलती हैं तो यह दृश्य बड़ा ही मनोहारी लगता है| जैसे मानसून आने पर मोर नृत्य कर खुशी प्रदर्शित करते हैं, उसी प्रकार महिलाएँ भी बारिश में झूले झूलती हैं, नृत्य करती हैं और खुशियाँ मनाती हैं।
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इस दिन सुहागिन स्त्रियाँ सुहागी पकड़कर सास के पांव छूकर उन्हें देती हैं| यदि सास न हो तो स्वयं से बड़ों को अर्थात जेठानी या किसी वृद्धा को देती हैं|
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हरियाली तीज के दिन अनेक स्थानों पर मेले लगते हैं और माता पार्वती की सवारी बड़े धूमधाम से निकाली जाती है| यह त्योहार महिलाओं के लिए एकत्र होने का एक उत्सव है| नवविवाहित लड़कियों के लिए विवाह के पश्चात पड़ने वाले पहले सावन के त्योहार का विशेष महत्त्व होता है|
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पौराणिक रूप से यह शिव पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है|
तीज के बारे में लोक कथा है कि पार्वतीजी के 108वें जन्म में शिवजी उनकी कठोर तपस्या से प्रसन्न हुए और पार्वतीजी की अपार भक्ति को जानकर उन्हें अपनी पत्नी की तरह स्वीकार किया|
पार्वतीजी का आशीष पाने के लिए महिलाएँ कई रीति-रिवाजों का पालन करती हैं| नवविवाहित महिलाएँ अपने मायके जाकर ये त्योहार मनाती हैं|
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सिंधारा दूज के दिन जिन लड़कियों की सगाई हो जाती है, उन्हें अपने होने वाले सास-ससुर से सिंजारा मिलता है। इसमें मेहँदी, लाख की चूड़ियाँ, कपड़े (लहरिया), मिठाई विशेषकर घेवर शामिल होता है|
विवाहित महिलाओं को भी अपने पति, रिश्तेदारों एवं सास-ससुर के उपहार मिलते हैं|
कन्याओं का बड़ा लाड-चाव इस दिन किया जाता है|
पुनश्चः सभी मातृशक्ति को नमन और शुभ कामनाएँ| ॐ ॐ ॐ ||
सिंधारा दूज के दिन जिन लड़कियों की सगाई हो जाती है, उन्हें अपने होने वाले सास-ससुर से सिंजारा मिलता है। इसमें मेहँदी, लाख की चूड़ियाँ, कपड़े (लहरिया), मिठाई विशेषकर घेवर शामिल होता है|
विवाहित महिलाओं को भी अपने पति, रिश्तेदारों एवं सास-ससुर के उपहार मिलते हैं|
कन्याओं का बड़ा लाड-चाव इस दिन किया जाता है|
पुनश्चः सभी मातृशक्ति को नमन और शुभ कामनाएँ| ॐ ॐ ॐ ||
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