Friday 5 August 2016

मेरा शाश्वत मित्र .......

मेरा हर क्षण परमात्मा के साथ मित्रता को समर्पित है| जब से उस मित्र से मित्रता और प्रेम हुआ है व प्रेमवश उसके सामने सिर झुका है तब से उठा ही नहीं है|
वह मेरा शाश्वत मित्र है| जन्म से पूर्व भी वह मेरे साथ था और मृत्यु के बाद भी मेरे साथ ही रहेगा|
.
जब सब साथ छोड़ देंगे, यहाँ तक कि यह पृथ्वी भी पीछे छूट जायेगी तब भी वह साथ नहीं छोड़ेगा| ऐसे प्रियतम मित्र को छोड़कर मैं कहाँ जाऊँ ?
बस आनंद है हर पल उसके साथ रहने में जो कभी साथ नहीं छोड़ता| हर पल उसी से मित्रता और प्रगाढ़ होती है| उस से मित्रता होने से सारा संसार ही मेरा मित्र हो गया है|
ॐ ॐ ॐ ||

No comments:

Post a Comment