Saturday 29 October 2022

सती सावित्री ---

 सती सावित्री ---

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सती सावित्री की अमर कथा महाभारत के वनपर्व में आती है, जिसे मार्कन्डेय ऋषि ने महाराजा युधिष्ठिर को सुनाई थी। अपनी आध्यात्मिक चेतना से इस युग में महर्षि श्रीअरविंद ने अङ्ग्रेज़ी भाषा के महानतम महाकाव्य "SAVITRI" की रचना कर के सावित्री के नाम को वर्तमान काल में फिर से अमर कर दिया है।
महाभारत के अनुसार मद्र देश के राजा अश्वपति ने अपनी पुत्री सावित्री का विवाह सत्यवान से कर दिया था, जो शाल्व देश के राजा द्युमत्सेन के पुत्र थे।
शाल्व राज्य महाभारत काल में भारत का एक पश्चिमी राज्य था। इसकी दो राजधानियाँ थीं -- शोभा और मत्रिकावती। महाभारत में शाल्व वंश का वर्णन है। इतिहासकारों ने इस वंश के आठवीं सदी तक के इतिहास को भी खोज निकाला है।
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मैं जो लिखने जा रहा हूँ, वह विवादास्पद असत्य या सत्य कुछ भी हो सकता है। मेरी बात यदि असत्य या कोई भ्रम लगे तो इसे एक गल्प समझकर भूल जाना; यदि इसमें सत्य का कुछ अंश लगे तो इस पर विचार करना।
एक दिन मैं ध्यान कर रहा था। मन में यह जानने की जिज्ञासा हुई कि सत्यवान की असमय हुई मृत्यु के पश्चात सावित्री और मृत्यु के देवता यमराज के मध्य संवाद कहाँ किस स्थान पर हुआ था? यह प्रश्न मन में अनेक बार कई दिनों तक आया। एक बार अचानक ही एक दृश्य मानस पटल पर उतरा। एक लंबी बर्फ से ढकी पर्वतमाला के पूर्व दिशा की ओर के एक वन का दृश्य दिखाई दिया। वह पर्वतमाला आग्नेय दिशा से वायव्य दिशा की ओर जा रही थी। पता नहीं इस तरह के पर्वत कहाँ है?
भारत के पश्चिम-उत्तर में कश्यप सागर (Caspian Sea) से लेकर कृष्ण सागर (Black Sea) तक की लगभाग १०० कि.मी. लंबी काकेशस पर्वत शृंखला अवश्य है। इसके पूर्व में रूस है, और पश्चिम में अज़रबेज़ान, आर्मेनिया और जॉर्जिया हैं। यह क्षेत्र भी कभी भारत का ही भाग रहा होगा। मुझे लगता है वह घटना इसी क्षेत्र में कहीं हुई होगी।
२८ सितंबर २०२२

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